Intro or
lead
इंट्रो या लीड
इंट्रो क्या है?
What is an Intro?
अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘इंट्रोडक्शन’ का समाचार पत्रों
की दुनिया में ‘इंट्रो’ कहा जाता है। हिंदी में इसे आमुख और उर्दू में मुखड़ा कहा
जाता है। इंट्रो पूरे समाचार का शारांश और प्राण होता है। इंट्रो समाचार का पहला
पैराग्राफ होता है, जहां से कोई समाचार शुरु होता
है।
समाचार लेखन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू मुखड़ा लेखन या इंट्रो लेखन है। मुखड़े के आधार पर ही समाचार की गुणवत्ता का निर्धारण होता है। एक अच्छा इंट्रो खबर को पढ़ने के लिए विवश कर देता है और एक खराब इंट्रो खबर में आपकी रुचि समाप्त कर सकता है।
Word ‘introduction’ of English called
‘Intro’ in newspaper world. It is called ‘Aamukh’ in Hindi and ‘Mukhda’ in Urdu
langauages.
Intro is the summary and life of the news. It is the first
parshraph of the news, from where news is started.
Most important aspect of news writing is intro writing.
Quality of news is depand upon intro.
A good intro forces
the reader to read the news. A bad intro can end your interest in news.
Features of an Intro
इंट्रो में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए-
·
इंट्रो अगर कुछ कहता नहीं है तो
बेकार है। उसे कुछ जरूर कहना होगा। यानी उसे अर्थ देते हुए होना चाहिए।
·
इंट्रो को उलझाव पैदा करने के बजाए
अपने पाठक को तुरंत अपनी बात बताना चाहिए। सही अभिव्यक्ति के जादू से ही कोई
इंट्रो प्रभावी बनता है।
·
एक आदर्श मुखड़े में किसी समाचार की सबसे महत्वपूर्ण सूचना आ
जानी चाहिये और उसे किसी भी हालत में 30 से 50 (एक कॉलम की सात-आठ लाइन) शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिये।
·
किसी मुखड़े में मुख्यतः छह सवालों का जवाब देने की कोशिश की
जाती है- क्या हुआ, किसके साथ हुआ, कहां हुआ, कब हुआ, क्यों और कैसे हुआ है।
·
इंट्रो लिखते समय ‘पाँच डब्ल्यू’ तथा एक-एच के सिद्धांत का
पालन करना चाहिए। अर्थात् इंट्रो में पाठक को
छह प्रश्न-Who, When, Where, What और How का उत्तर मिल जाना चाहिए।
हालांकि वर्तमान में इस सिद्धान्त का अक्षरशः पालन नहीं हो रहा है। आज
छोटे-से-छोटे इंट्रो लिखने की प्रवृत्ति है। इसके फलस्वरूप इतने प्रश्नों का उत्तर
एक छोटे इंट्रो में देना संभव नहीं है।
· आमतौर पर माना जाता है कि एक आदर्श मुखड़े में सभी छह प्रश्नों का जवाब देने के बजाय दो-तीन प्रश्नों के उत्तर दिये जा सकते हैं। ‘क्या’, ‘कहां’, ‘कब’ और ‘कौन’ जैसे प्रश्नों के उत्तर आसानी से इंट्रो में आ जाते हैं। बाकी प्रश्नों (क्यों, कैसे) का उत्तर खबर की बॉडी में देना चाहिए।
1- If intro does not say something then it is useless. It means
an intro should be meaningful.
2- Intro should not be confused. It should tell its facts at
once.
3- The most important information of any news should be present
in an ideal intro.
4- Intro should not be more than 30 to 50 words or 7-8 lines.
5- An intro is mainly attempted to answer six questions (5 Ws
and 1 H) i.e. what, whom, where, when, why and how.
6- While writing the intro, you must follow the principle of '5-W'
and '1-H'. That is, in the intro, the reader should get the answers to six questions-
Who, When, Where, What, Why and
How. However, this principle is not practiced literally in the present. There
is a tendency to write small intro today. As a result, it is not possible to
respond all such questions in a small intro.
7- It is generally believed that instead of answering all the
six questions in an ideal intro, two to three questions can be answered.
Answers to questions such as 'what', 'where', 'when' and 'who' easily come into
intro. The rest of the questions (why, how) should be answered in the news
body.
इंट्रो के रूप
Forms of Intro
इंट्रो को लेकर हर व्यक्ति और संपादक के
अपने-अपने विचार होते हैं। समाचारों में विविधता भी बहुत होती है, इसलिए इंट्रो का
वर्गीकरण एक कठिन काम है। इसके बावजूद सामान्य रूप से इंट्रो के तीन प्रमुख रूप
माने जाते हैं।
1-
भावनात्मक इंट्रो- इस प्रकार के इंट्रो में घटनाचक्र और
विचार प्रधान समाचार का दोहन करके निष्कर्ष निकाला जाता है या उसके लिए प्रेरणा दी
जाती है।
2-
तथ्यात्मक इंट्रो- इस
प्रकार के इंट्रों में विचार के बजाय घटनाचक्र को ही बिना किसी संकोच के महत्व
दिया जाता है।
3- भावना और तथ्यों का मिश्रण- कभी-कभी तथ्यात्मक इंट्रो में भावना का पुट देकर उसे आकर्षक, रोचक और प्रभावशाली बनाया जाता है।
Every person and editor
has its own ideas about the intro. Dicersity is also very high in the news, so
the classification of an intro is a difficult task. Despite this, it is
generally considered to be three main forms of intro-
1- Emotional Intro- In this type, conclusion is made by exploiting the events
and thoughts of the news or given inspiration for them.
2- Factual Intro- In
this type of intro, without any hesitation, importance is given to the events instead
of thoughts of the news.
3- Mixing of emotion and facts- Sometimes intro is made
attractive, interesting and impressive by putting the emotion in factual intro.
इंट्रो की सीमा
Limit of an Intro
इंट्रो हमेशा कम से कम शब्दों में लिखने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर इंट्रो की लंबाई समाचार की लंबाई पर निर्भर करती है। यदि समाचार एक कॉलम का है तो उसका इंट्रो भी छोटा होगा। दो और उससे बड़े कॉलम के समाचार के लिए इंट्रो थोड़ा बड़ा हो सकता है, लेकिन यहां भी इंट्रो बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। बहुत ज्यादा लंबा इंट्रो समाचार के प्रभाव और छवि को खराब कर देता है। इसलिए इंट्रो को हमेशा ही लघु, प्रभावशाली और सारगर्भित अंशों पर आधारित होना चाहिए।
Intro is always advised to write in least words. Usually the length
of the intro depands on the length of the news.If the news is of one column
then its intro will also be small. For the news of two or more columns, the
intro can be a bit bigger, but the intro here also should not be too big. Very
long intro spoils the impact and image of news. Therefore the intro should be
small, impressive and based on compact fragments of the news.
Types
of Leadsलीड/इंट्रो के प्रकार
Although there are many ways to write leads, here are seven
common approaches.
हालांकि लीड लिखने के कई तरीके हैं। लीड लेखन के कुछ प्रमुख रूप इस
प्रकार हैं-
Straight Lead
सीधा या सरल लीड
It is also called the “summary” lead. This is by far the most
common and traditional version. It should be used in
most cases. It is a brief summary, containing most of the Five W’s and H in one paragraph.
इसे "सारांश" लीड भी कहा जाता है। यह अब तक का सबसे आम और पारंपरिक संस्करण है। यह ज्यादातर मामलों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह एक संक्षिप्त सारांश है, जिसमें एक पैराग्राफ में पांच डब्लू और एक एच शामिल होते हैं।
उदाहरण....
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में शनिवार (10 अक्टूबर 2020) देर रात एक पुजारी को गोली मार
दी गई। पुलिस के अनुसार राम जानकी मंदिर के पुजारी बाबा सम्राट दास को ज़मीन के
विवाद में गोली मारी गई है। गंभीर हालत में उन्हें लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफ़र किया
गया है। पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है,जबकि दो अन्य आरोपितों की तलाश
कर रही है।
A priest was shot late Saturdaynight (10 October 2020) in Gonda district of Uttar Pradesh. According
to the police, Baba Samrat Das, a priest of the Ram Janaki temple, was shot
dead in a land dispute. He has been referred to Lucknow Trauma Center in
critical condition. The police have arrested the two accused, while searching
for two other accused.
Anecdotal Lead
किस्सा या उपाख्यान लीड
The anecdotal lead uses a quick, relevant story to draw in the
reader. The anecdote must help enhance the article’s broader point. You must explain the connection to that point in the first few
sentences following the lead.
उपाख्यान लीड पाठक को आकर्षित करने के लिए एक त्वरित, प्रासंगिक कहानी का उपयोग करता है। उपाख्यान को लेख के व्यापक दृष्टिकोण को समृद्ध करने में मदद करनी चाहिए। आपको लीड के बाद पहले कुछ वाक्यों में ही उस बिंदु और उपाख्यान के जुड़ाव की व्याख्या करनी होगी।
पुलिस अधिकारी अपने जूनियर से पूछता है, 'एफआईआर
क्यों नहीं लिखी अब तक?'
"सर केस इतना सीरियस लग नहीं रहा था"
"कब लगता है सीरियस?"
"इन लोगों के तो झूठे केस आते रहते हैं. अभी
जनवरी में 'इनका' एक लड़का भाग गया था, इनके
कहने पर किडनैपिंग का एफ़आईआर लिखा था सर, पूरे महीने 'इन
लोगों' ने.."
पुलिस अधिकारी गुस्से में पूछता है, "किन
लोगों ने?"
अफसर की डाँट सुनकर जूनियर पुलिसवाला
सहम जाता है. लेकिन 'आर्टिकल-15' फ़िल्म का ये
दृश्य कमज़ोर तबकों के साथ पुलिस के रवैये की चुगली कर जाता है.
The police officer asks his junior, 'Why hasn't the FIR written
yet?'
"Sir Case didn't seem so serious"
"When do you think Sirius?"
"These people keep getting false cases. Just in January,
one of their boys had run away, on their request, the FIR of kidnapping was
written, Sir, 'These people' all month."
The police officer angrily asks, "Which people?"
Hearing the scolding of the officer, the junior policeman gets
scared. But this scene in the film 'Article-15' makes clear the attitude of the
police to the weaker sections.
एक गुड़िया की कई
कठपुतलियों में जान है,
आज
शायर ये तमाशा देख कर हैरान है।
ख़ास
सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिए,
यह
हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है।
एक
बूढ़ा आदमी है मुल्क में या यों कहो,
इस
अँधेरी कोठरी में एक रौशनदान है।
इस कविता में ‘गुड़िया’ किसे कहा गया है और
कौन वो ‘बूढ़ा
आदमी’ है, ये आपको समझने में
दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जब आपको बताया जाए कि दुष्यंत ने ये कविता आपातकाल के
आसपास लिखी थी, तब
तो आप समझ ही जाएँगे। जब पूरे देश में लोकतंत्र का हनन हो रहा था, तब जयप्रकाश नारायण
भारत की सबसे बड़ी उम्मीद बन कर सामने आए और ये भी जानने लायक है कि आज हम
यूपी-बिहार में जिन नेताओं को राजनीति का धुरंधर मानते हैं, वो जेपी आंदोलन की ही उपज हैं।
Scene-Setting Lead
दृश्य-स्थापना लीड
The scene-setting lead describes the physical location where a
story takes place.
सीन-सेटिंग लीड भौतिक स्थान का वर्णन
करता है जहां एक कहानी/घटना घटित होती है।
उदाहरण.....
दिल्ली के आदर्श नगर इलाक़े की एक पतली
गली में मीडिया का जमावड़ा है. एक टीवी चैनल का एंकर कैमरा की ओर देखते हुए कहता
है, "राहुल राजपूत की हत्या पर सेक्युलर लोग शांत
हैं."
अंदर तीन छोटे-छोटे कमरों के एक पुराने
बने घर के एक कमरे में रिश्तेदार बैठे हैं,
एक में मां मीडिया से बात कर रही है.
जिस कमरे में बैठकर राहुल बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे, वहां
उसके पिता संजय कुमार उदास बैठे हैं.
इससे पहले की मैं उनसे कोई सवाल कर
पाता उन्होंने कहा, "हम राजपूत नहीं है, अनुसूचित
जाति से हैं, मीडिया में सुबह से हमारे बेटे का नाम गलत लिया
जा रहा है."
18 साल का राहुल ओपन स्कूल से बीए की
पढ़ाई कर रहा था. वो अपने घर में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. क्लास लेने भी
जाता था. 7 अक्तूबर की शाम सात बजे के करीब उसे कुछ युवकों ने इतनी बुरी तरह से
पीटा कि घर लौटने के कुछ घंटे बाद ही उसने दम तोड़ दिया.
राहुल की अपने घर से करीब एक किलोमीटर दूर जहांगीरपुरी की झुग्गी में रहने वाली एक मुसलमान लड़की से दोस्ती थी. जिन युवकों ने उस पर हमला किया वो उस लड़की के भाई और उनके दोस्त थे. पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें से तीन नाबालिग हैं.
There is a media gathering in a thin lane of Adarsh Nagar area of Delhi. An anchor of a TV
channel looking at the camera says, "Secular people are silent on Rahul
Rajput's murder."
Inside, relatives are sitting in a room in an old built house of
three small rooms, in one the mother is talking to the media. In the room where
Rahul used to teach tuition to children, his father Sanjay Kumar is sitting
sad.
Before I could ask any question to him, he said, "We are
not a Rajput, we are from the Scheduled Castes, our son's name is being taken
wrong in the media since morning."
18 year old Rahul was studying BA from Open School. He used to
teach tuition to children in his home and used to take classes too. Around 7 pm
on October 7, he was beaten up so badly by some youths that he succumbed hours
after returning home. Rahul had a friendship with a Muslim girl living in a slum in
Jahangirpuri, about a kilometer from his house. The young men who attacked him
were the girl's brothers and their friends. Police have arrested five people in
this case so far, out of which three are minors.
First-Person Lead
प्रथम पुरुष लीड
This lead describes the journalist’s personal experience with
the topic. It should only be used when you have a valuable contribution and
perspective that help illuminate the story.
यह लीड विषय के साथ पत्रकार के व्यक्तिगत अनुभव का वर्णन करता है।
इसका उपयोग केवल तब किया जाना चाहिए जब आपके पास एक मूल्यवान योगदान और
परिप्रेक्ष्य हो जो कहानी को रोशन करने में मदद करता हो।
उदाहरण...
“हमारी प्रेस रिलीज नहीं छापिएगा संपादक जी?” मैंने अपने
डेस्क से ऊपर नज़र उठाई तो देखा कि सफ़ेद कुर्ते पजामे में आत्मविश्वास से भरपूर
एक नौजवान नेता हमारे संपादक स्वर्गीय श्री शरद द्विवेदी से मुखातिब था। ये कोई
1985-86 की बात है। मैंने पीटीआई भाषा में बतौर प्रशिक्षु पत्रकार काम करना शुरू
ही किया था। शरद जी ने इस नेता का परिचय करवाया। ये नौजवान सांसद थे रामविलास
पासवान। बड़े शालीन तरीके से उन्होंने खुद बताया कि ‘जो है सो है
कि हम रिकार्ड बहुमत से सांसद बने हैं। इसलिए हमारे बयान की अनदेखी मत कीजिएगा।’
"Our press release will not print editor, sir?" When I
looked up from my desk, I saw that a young leader who was confident in white
kurta pajamas had a face with our editor late Shri Sharad Dwivedi. It is a
matter of 1985-86. I started working as a trainee journalist in PTI language.
Sharad ji introduced this leader. These young MPs were Ram Vilas Paswan. In a
very polite manner, he himself said that "What is so is that we have
become MPs with a record majority." Therefore do not ignore our statement.
'
Observational Lead
अवलोकनीय/पर्यवेक्षण लीड
When you offer an authoritative observation about a story then
it is
called observational lead. In
this we must keep in mind how our observation fits with a larger picture
related to the subject. For this you should ensure that you know the broader
context of your subject.
जब आप किसी खबर के बारे में एक आधिकारिक अवलोकन
की पेशकश करते हैं तो इसे अवलोकन/पर्यवेक्षण लीड कहा जाता है। इसमें हमें यह ध्यान
रखना चाहिए कि हमारा अवलोकन विषय से संबंधित एक बड़ी तस्वीर के साथ कैसे फिट बैठता
है। इसके लिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप अपने
विषय के व्यापक संदर्भ को जानते हैं।
बिहार में जब भी चुनाव की बात होती है, वहाँ के बाहुबलियों का जिक्र जरूर होता है। बिहार के बाहुबलियों के
जिक्र के बिना वहाँ की राजनीतिक चर्चा अधूरी सी रहती है। बिहार में कई ऐसे बाहुबली
हुए हैं, जो लोगों के बीच भय का दूसरा नाम बन
गए थे। इसी श्रृंखला में आज हम बात करेंगे मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) की, जिन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर मोकामा से विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन किया है।
Whenever there is an election in Bihar, there is a mention of
the Bahubalis there. The political discussion of Bihar remains incomplete
without mentioning the Bahubalis. There have been many such Bahubali in Bihar,
which became another name of fear among the people. In this series today, we
will talk about Mokama's Bahubali MLA Anant Singh, who has nominated for the
assembly election from Mokama on a Rashtriya Janata Dal (RJD) ticket.
Zinger Lead
जिंजर/तीखी टिप्पणी लीड
The zinger lead is dramatic and attention-grabbing. Although it
has a strong tone, it requires a hard set of facts to back it up.
जिंजर लीड नाटकीय और ध्यान खींचने वाला होता है। हालांकि इसमें एक
मजबूत स्वर होता है, लेकिन इसके
समर्थन देने कगे लिए ठोस तथ्यों का एक सेट होना आवश्यक है।
“His last meal was worth $30,000 and it killed him.” (The story was about a
man who died while trying to smuggle cocaine-filled bags in his stomach.)
"उनका आखिरी भोजन 30,000 डॉलर का था और इससे उनकी मौत हो
गई।" (कहानी एक ऐसे शख्स के बारे में थी जो अपने पेट में कोकीन से भरे बैग की
तस्करी करते हुए मर गया था।)
Question Lead
प्रश्न लीड
Question leads do just that: ask a question. Although they are
effective in sparking interest, use them sparingly because they generally do
not provide the main points of a story as concisely.
प्रश्न लीड में एक प्रश्न पूछा जाता है। हालांकि इस प्रकार की लीड पाठक की रुचि को बढ़ाने में बहुत प्रभावी हैं लेकिन इसका प्रयोग संयम से करना चाहिए क्योंकि यह आम तौर पर कहानी के मुख्य बिंदुओं को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत नहीं कर पाता है।
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Tips for Writing Leads
Below
are some helpful hints to keep in mind.
The Five W’s and H
News
writing strives to answer “The Five W’s and H:” that is, Who, What, When, Where, Why and How. Good leads
answer as many of these questions as possible in a single sentence. When
writing a lead, it helps to think about which of these facts is the most vital
for readers to know.
Keep It Short
A
good lead provides all the information the reader requires in just a few words.
Ideally, a lead should be between 25 and 40 words.
Keep It Simple
Don’t
clutter up the lead with unnecessary adjectives or adverbs. Also make sure that
your lead only discusses one idea to avoid confusion.
Write in Active Voice
Avoid
all forms of the verb “to be.” Common exceptions including writing about
fatalities (“two people were killed Thursday”) and when discussing police
activity (“two people were arrested”). Passive voice is often the result
of incomplete reporting.
Structure Your Lead Properly
Put
your most crucial information at the very beginning of the sentence. Important
secondary information can go in subsequent sentences. Not following this
practice is called “burying the lead.” If you need attribution in your lead,
make sure it goes toward the end of the sentence because it is less important
than the information itself.
Understand the Context
Keep
in mind what your readers may already know about your story based on previous
media coverage. Write in a way that speaks to these realities and adds
relevant, useful information.
Be Honest
Never
mislead the reader. If you promise a certain type of information with your
lead, you should be ready to deliver.
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