संपादकीय पृष्ठ लेखन- लीडर लेख
Edit Page Writing : Leader Writing
संपादकीय पृष्ठ
Editorial page
·
संपादकीय
पृष्ठ किसी भी समाचार पत्र का सबसे प्रमुख पृष्ठ
होता है। इस पृष्ठ को समाचार पत्र की आवाज कहा जाता है क्योंकि यह पृष्ठ समाचार
पत्र का विचार पेज कहलाता है जो समाचार पत्र की राय प्रस्तुत करता है।
Editorial page is
the most prominent page of any newspaper. This page is called the voice of the
newspaper because this page is called the opinion page of the newspaper which
presents the opinion of the newspaper.
·
संपादकीय
पृष्ठ पर हमें संपादकीय या लीडर, वर्तमान में चल रहे मुद्दों पर विचारोत्तेजक लेख,
समाज के प्रतिष्ठित लोगों की राय और पाठकों द्वारा संपादक के नाम लिखे गए पत्र
पढ़ने को मिलते हैं।
On the editorial
page we get to read editorials or leaders, thought-provoking articles on
current ongoing issues, opinions of eminent people of the society and letters
written by readers to the editor.
·
समाचार
पत्रों में संपादकीय पृष्ठ का स्थान तय होता है। इसमें बदलाव नहीं होता है। यह हर
समाचार पत्र के बीच में बायां पृष्ठ होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दाएं
पृष्ठों पर विज्ञापनों का दबाव होता है।
The position of the
editorial page in newspapers is fixed. It doesn't change. This is the middle
left page of every newspaper. This happens because there is pressure of ads on
the right pages.
·
संपादकीय
पृष्ठ को प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ की मान्यता दिलाने वाला माना जाता है।
प्रथम पृष्ठ को जहां समाचार पत्र रूपी दुकान की खिड़की या शो विंडो कहा जाता है तो
वहीं संपादकीय पृष्ठ को समाचार पत्र की आवाज कहा जाता है। इस पृष्ठ की सार्थकता के
लिए इस पृष्ठ पर लिखने लेखक को समाज की आवाज के
रूप में लेखन करना चाहिए।
The editorial page is considered to recognize
the press as the fourth pillar of democracy. While the first page is called the
show window of the newspaper, the editorial page is called the voice of the
newspaper. For the meaning of this page, the writer writing on this page should
write as the voice of the society.
लीडर राइटिंग या अग्रलेख लेखन
Leader Writing or Lead Writing
·
संपादक
द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखा गया विचारात्मक लेख अग्रलेख या लीडर
आर्टिकल कहलाता है।
A thought-provoking
article written by the editor on a major event or problem is called a lead
article or a leader article.
·
अग्रलेख
ज्यादातर संपादकीय पृष्ठ पर ही छपता है, लेकिन कभी-कभी जब कोई बेहद महत्वपूर्ण विषय
होता है तो अग्रलेख प्रथम पृष्ठ पर भी प्रकाशित होता है।
The Leader mostly
appears on the editorial page, but sometimes when there is a very important
topic, the Leader appears on the front page as well.
·
अग्रलेख
में संपादक द्वारा किसी घटना या स्थिति विशेष का मूल्यांकन किया जाता है।
In the Leader, a
particular event or situation is evaluated by the editor.
·
इसे
किसी मुद्दे पर समाचार पत्र की अधिकृत राय माना जाता है और यह अखबार की नीतियों का
प्रदर्शक होता है। इस प्रकार यह समाचार पत्र के दृष्टिकोण और रीति-नीति का दर्पण
होता है।
It is considered
the official opinion of the newspaper on an issue and is a reflection of the policies
of the newspaper. In this way, it is a mirror of the approach and customs of
the newspaper.
·
चूंकि
अग्रलेख को एक व्यक्ति की राय के बजाय पूरे अखबार की राय माना जाता है, इसलिए
अग्रलेख में लेखक का नाम भी नहीं दिया जाता है।
Since the Leader is
considered the opinion of the entire newspaper rather than the opinion of an
individual, the author's name is also not given in the foreword.
·
अग्रलेख
समाचार पत्र का स्थायी सम्मानवाहक होता है। यह समाचार पत्र को चिरस्मरणीय बनाता
है। यह पाठकों को लंबे समय तक याद रह सकता है।
The Leader is a
permanent honor bearer of the newspaper. This makes the newspaper memorable.
This can be remembered by the readers for a long time.
·
अग्रलेख
को समाचार पत्र का संजीवन तत्व माना गया है। इसके बिना अखबार ऐसा माना जाता है
जैसे शीतलता के बिना जल या प्राण के बिना शरीर।
The Leader has been considered as the lifeblood of the
newspaper. Without it the newspaper is considered as water without coolness or
body without Prana.
·
अग्रलेख
को समाचार पत्र की ऐसी धड़कन कहा गया है जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की धड़कनों
को प्रभावित करती है।
The Leader has been called such a heartbeat of the
newspaper which affects the heartbeats of the individual, society and nation.
अग्रलेख (लीडर) के कार्य
Functions of the Leader
·
अग्रलेख
द्वारा किसी स्थिति विशेष का मूल्यांकन किया जाता है।
A particular
situation is evaluated by the Leader.
·
इसके
जरिये किसी घटना के संभावित परिणामों पर राय जाहिर की जाती है।
Through this
opinion is expressed on the possible consequences of an event.
·
अग्रलेख
में जनता की आकांक्षाओं को शब्द प्रदान किए जाते हैं।
In the Leader, words are provided to the aspirations of the
people.
·
अग्रलेख
के जरिये सतर्क भविष्यवक्ता की भी भूमिका निभाई जाती है। इसमें लेखक विश्लेषण के
जरिये आगामी घटना या भविष्य की घटना का संकेत करता है।
The role of an
alert prophet is also played through the Leader.
In this, the author indicates an upcoming event or future event through
analysis.
·
अग्रलेख
किसी घटना का महत्व, कारण, प्रभाव आदि बताने का काम करता है। इस प्रकार यह
समाचारों का भाष्य बताता है।
Leader
works to tell the importance, cause, effect etc. of an event. Thus it tells the
narrative of the news.
·
अग्रलेख
में किसी घटना का महत्व या प्रभाव बताने के लिए उसकी पृष्ठभूमि बताई जाती है जिससे
पाठक का ज्ञानवर्धन होता है।
·
In the Leader, to tell the importance or
impact of an event, its background is given, which increases the knowledge of
the reader.
अग्रलेख (लीडर) के भाग
Parts of the leader
किसी भी अग्रलेख के
मुख्यतः तीन भाग होते हैं-
There are mainly three parts of any Leader-
1-
समस्या का कथन- इसके तहत संक्षेप में विषय की पृष्ठभूमि दी जाती है।
Statement
of the problem- Under this briefly the background of the topic is given.
2-
विश्लेषण- इसके बाद तार्किक आधार पर विषय का विश्लेषण किया जाता है।
Analysis-
After this the topic is analyzed on logical basis.
3-
टिप्पणी- अंत में संबंधित विषय पर संपादक अपने विचार व्यक्त करता है।
Comment - At the end the editor expresses his views on the subject.
अग्रलेख या संपादकीय
लेखन के आदर्श
Ideals of leader or editorial writing
अग्रलेख लिखते समय
लेखक के सामने निम्नलिखित आदर्श होने चाहिए-
While writing
a Leader, the following ideals
should be in front of the author-
·
अग्रलेख के निष्कर्ष जनकल्याण की भावना पर आधारित होने चाहिए।
The conclusion of the Leader should be based on the spirit of public welfare.
·
अग्रलेख में लेखक को अपने निजी स्वार्थ से दूर रहना चाहिए।
In the Leader,
the author should stay away from his personal interest.
·
लेखक को अपने निजी मत की समीक्षा नए ज्ञान के प्रकाश में करनी चाहिए।
The author should review his personal opinion in the
light of new knowledge.
·
ईमानदारी के साथ तथ्यों को संपूर्ण रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। तथ्य
अधूरे नहीं होने चाहिए।
The facts should be presented as a whole with
honesty. Facts should not be incomplete.
·
अर्धसत्य के आधार पर अग्रलेख का लेखन विनाशकारी हो सकता है।
Writing a Leader based on half-truths can be disastrous.
·
संपादकीय
लेखक को जनचतेना का अराजकीय प्रहरी कहा जाता है। इसलिए यदि वह कोई पक्ष लेता है तो
उस स्थिति पर अपने तर्क भी प्रस्तुत करने चाहिए।
· The editorial writer is called the non-state watchdog of public consciousness. Therefore, if he takes any side, he should also present his arguments on that position.
अग्रलेख लेखन की
चुनौतियां
Challenges of Leader Writing
·
संपादकीय या अग्रलेख लिखना तलवार की धार पर चलने के समान होता है।
Writing
editorial or Leader is like walking on the edge of a sword.
·
इसमें बाजीगर की तरह तनी हुई रस्सी पर हवा में एक सिरे से दूसरे सिरे
पर जाने की चुनौती होती है।
In
this the challenge is to go from one end to the other in the air on a rope
stretched like a juggler.
·
संपादकीय लेखन एक प्रकार का आग का दरिया है
जिसे लेखक को तैरकर पार करना होता है।
Editorial
writing is a kind of river of fire that the writer has to swim across.
·
विद्वानों ने संपादकीय लेखक की स्थिति ऐसी बताई है जैसे अनेक पत्नियों
के पति की स्थिति होती है। अर्थात एक को मनाने के चक्कर में दूसरे के रुठने की
आशंका रहती है।
Scholars
have described the position of the editorial writer as such is the situation of
husbands of many wives. That is, in the process of persuading one, there is a
possibility of anger of the other.
·
संपादकीय लेखन का कोई सिद्धांत या नियम नहीं है। यह पूरी तरह एक
स्वतंत्र विधा है।
·
There are no
principles or rules for editorial writing. This is a completely independent
mode.
अग्रलेख लेखन के मुख्य घटक या तत्व
Main
components or elements of Leader writing
अग्रलेख लेखन करते
समय बहुत सारे तत्वों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। इनमें वस्तुनिष्ठता,
रोचकता, दूरदर्शिता, मार्गदर्शन, विचारोत्तेजना, सुझाव, आलोचना, बौद्धिकता,
पूर्णता, संक्षिप्तता, युक्तियां, तार्किकता, भावुकता, सुसंगगतता, सकारात्मकता आदि
तत्व होने जरूरी हैं।
There are many
elements that need to be taken care of while writing Leader. In these objectivity, interestingness,
farsightedness, guidance, thought-provoking, suggestion, criticism,
intelligence, completeness, brevity, tips, rationality, sentimentality,
coherence, positivity are essential elements.
संपादकीय लेखन के चरण
Editorial writing steps
अग्रलेख या संपादकीय
लेख के प्रमुख चरण इस प्रकार हैं-
The main stages of a editorial article
are as follows-
·
विषय का चयन- कुछ भी लिखने के लिए सबसे पहले विषय का चयन होना जरूरी है। संपादकीय
लेखन के लिए प्रायः उस समय का महत्वपूर्ण और रुचिकर विषय चुना जाता है। विषय ऐसा
होता है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों के हित जुड़े होते हैं।
Selection of Subject- To write anything, first of all, the subject must be selected. The important and interesting topic of that time is often chosen for editorial writing. The subject is such that the interests of more and more people are related.
·
सामग्री संकलन- विषय के चुनाव के बाद उससे संबंधित सामग्री के संकलन का चरण आता है।
इसके लिए पुस्तकालय से, समाचार पत्रों की विषयवार कतरनों से और आजकल इंटरनेट से
सामग्री संकलन किया जाता है।
Material Compilation- After the selection of the
subject, there come the stage of compilation of related material. For this,
material is collected from the library, from the subject wise clippings of
newspapers and nowadays from the Internet.
·
रूपरेखा निर्माण- सामग्री संकलन के बाद लिखने से पहले एक रूपरेखा बनाई जाती है, जिससे
स्पष्ट हो जाता है कि लेख का ढांचा किस प्रकार का होगा।
Outline Creation- After compiling the
material, an outline is made before writing, which makes it clear what kind of
structure the article will be.
·
विषय प्रवेश- इस चरण में लेखन शुरू हो जाता है। विषय प्रवेश के तहत लेखन का पहला
पैराग्राफ आता है। इसमें पाठक को विषय का ज्ञान कराया जाता है।
Subject Entry- Writing starts in this
stage. The first paragraph of writing comes under the topic entry. In this the
reader is made aware of the subject.
·
विषय का विस्तार- लेख की शुरुआत करने के बाद किसी के वक्तव्य, मत, तर्क और कथनों के
जरिये उस विषय का क्रमिक विस्तार किया जाता है।
Expansion of the topic - After the beginning of
the article, a gradual expansion of that topic is done through one's
statements, opinions, arguments and statements.
·
निष्कर्ष- इस चरण में कोई विचार प्रतिपादित करके, कोई परामर्श देकर या आदेश
देकर लेखक किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है। निष्कर्ष नपा-तुला और संतुलित होना चाहिए।
Conclusion- In this stage the author
reaches a conclusion by proposing an idea, giving some advice or giving orders.
Conclusions should be measured and balanced.
·
शीर्षक- लेखन पूरा होने का बाद शीर्षक का नंबर आता है। हालांकि शीर्षक पहले
भी लिखा जा सकता है। यह लेखक की रुचि और सुविधा पर निर्भर करता है। शीर्षक बहुत
महत्वपूर्ण होता है। यह लेख के लिए शो विंडो के समान होता है, इसलिए इसे दूर से ही
आकर्षित करने वाला होना चाहिए।
Title- After the writing is completed, it is the
turn of the title. Although the title can be written earlier as well. It
depends on the interest and convenience of the author. Title is very important.
It's similar to the show window for the article, so it must be attracting from
a distance.
·
भाषा- संपादकीय या अग्रलेख की भाषा जीवंत होनी चाहिए। यह घिसी-पिटी और नीरस
नहीं होनी चाहिए।
Language – The language of the
editorial should be lively. It should not be boring and monotonous.
संपादकीय लेख के प्रकार
Types of
Editorial Articles
संपादकीय लेख
मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- 1- सूचनात्मक और 2- विवादास्पद।
There are
mainly two types of editorial articles- 1- informative and 2- controversial.
सूचनात्मक संपादकीय-
इस
प्रकार के संपादकीय में प्रायः समस्या का वर्णन और विश्लेषण अधिक होता है। इसमें
अपनी तरफ से टिप्पणियां कम की जाती हैं।
Informative
Editorial-
This type of editorial often contains more description and analysis of the
problem. In this, comments are reduced from your side.
विवादास्पाद
संपादकीय- इस प्रकार के संपादकीय में विषय के वर्णन के साथ उसके किसी एक पहलू
का समर्थन या विरोध किया जाता है।
Controversial
Editorial-
In this type of editorial, one aspect of the subject is supported or opposed
along with the description.
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