फीचर लेखन (Feature Writing)
अवधारणा और अर्थ
Concept and Meaning
· मौटे तौर पर अखबारों, पत्रिकाओं में खबरों से अलग जो कुछ छपता है, वह
फीचर कहलाता है।
Broadly speaking, whatever is published
in newspapers, magazines apart from the news, is called feature.
· समाचार पत्र के बड़े आलेख फीचर कहलाते हैं।
The large articles in the newspaper are
called features.
· ये मानव की भावनाओं और मन को प्रभावित करने वाले लेख होते हैं।
These are articles affecting the
feelings and mind of human beings.
· फीचर मनोरंजक ढंग से लिखे गए लेख होते हैं।
Features are interestingly written
articles.
· फीचर समाचारों को नया आयाम देता है, उनका परीक्षण करता है, विश्लेषण
करता है और उन पर नए ढंग से प्रकाश डालता है।
Feature gives new dimension to news,
tests them, analyzes and sheds light on them in a new way.
फीचर के विभिन्न रूप
(Different Forms of Feature)
फीचर कई प्रकार के होते हैं। There
are many types of features.
1-
सामान्य फीचर- इस श्रेणी में लोकरुचि की कोई भी ऐसी सूचना या विवरण आता है जिसे
पढ़कर पाठक की जानकारी और संवेदना का दायरा बढ़ता है। ऐसे फीचर व्यक्ति, स्थान,
त्यौहार, मौसम, उत्सव, कार्यक्रम, रीति-रिवाज, पर्यावरण, दिवस, समाज, पर्यटन,
जाति, जनजाति आदि के बारे में हो सकते हैं। ऐसा फीचर लोगों के लिए रुचिकर और नया होना
चाहिए। लोग उसके बारे में पहले से न जानते हों।
General Feature- In this
category comes any such information or description of public interest, which
increases the scope of the reader's knowledge and sensitivity by reading it.
Such features can be about person, place, festival, season, event, custom,
environment, day, society, tourism, caste, tribe etc. Such a feature should be
interesting and new to the people. People may not already know about him.
2-
विशिष्ट फीचर- फीचर की इस श्रेणी में साक्षात्कार, रिपोर्ताज, संस्मरण, व्यक्ति
चित्र, जीवनी, यात्रा वृतांत, समीक्षा, फोटो फीचर, हास्य व्यंग्य के कॉलम,
कार्टून, फिल्म या राजनीतिक गॉसिप, परामर्शदाता के प्रश्नोत्तर, धर्म व ज्योतिष के
कॉलम आदि आते हैं।
Special
Features - This category of
feature includes interviews, reportage, memoirs, portraits, biographies,
travelogues, reviews, photo features, comic satire columns, cartoons, film or
political gossip, counselor's questions, religion and astrology columns, etc.
Huh.
फीचर की विशेषताएं या फीचर के तत्व
(Elements of Feature)
फीचर के प्रमुख तत्व इस प्रकार होते हैं- The
main elements of the feature are as follows-
1-
सत्यता और तथ्यता- अच्छे फीचर को सत्यता और तथ्यता पर आधारित होना चाहिए। वह मात्र कपोल
कल्पना पर आधारित नहीं होता है।
Truthfulness and factuality-
A good feature should be based on truthfulness and factuality. It is not based
on mere imagination.
2-
समसामयिक विषय- फीचर के विषय का समसामयिक होना जरूरी है। इससे फीचर के प्रति लोगों
का जुड़ाव होता है। इससे उनमें जिज्ञासा पैदा होता है और उन्हें नई जानकारी मिलती
है।
Contemporary Topics- The
topic of the feature must be contemporary. This leads to engagement of people
towards the feature. This creates curiosity in them and gives them new
information.
3-
रोचकता- फीचर का दिलचस्प और रोचक होना बहुत ही जरूरी है। इसके बिना कोई पाठक
लेख को पढ़ना पसंद नहीं करेगा।
Interesting- It is very
important for the feature to be interesting. Without this a reader would not
like to read the article.
4-
मनोरंजक शैली- फीचर की शैली शुरू से अंत तक मनोरंजक होनी चाहिए। ऐसा न होने पर पाठक
उसे बीच में ही पढ़ना छोड़ सकता है।
Entertaining Style- The
style of the feature should be entertaining from start to finish. Otherwise,
the reader may skip reading it midway.
5-
ज्ञानवर्धक, उत्तेजक
और परिवर्तनसूचक- फीचर केवल शब्दों
का जाल नहीं होता बल्कि उसे नई सूचना और ज्ञान देने वाला होना चाहिए। वह पाठक के
अंदर विषय के प्रति उत्तेजना महसूस कराए और परिवर्तन का संकेतक भी हो।
Informative, stimulating and transformative - A feature should not be a mere web of words but it
should give new information and knowledge. It should make the reader feel
excited about the subject and also be an indicator of change.
6-
निजी अनुभवों की
अभिव्यक्ति- फीचर किसी विषय से
संबंधित लेख के निजी अनुभव या विचार होते हैं।
Expression of Personal Experiences - Features are the personal experiences or views of an
article related to a topic.
7-
कल्पना का पुट- सत्यता और तथ्यता होने के बावजूद फीचर में कल्पना का पुट देने की
पर्याप्त गुंजाइश रहती है।
Addition of fiction -
Despite being truthful and factual, there is ample scope to give a touch of
fiction in the feature.
8-
चित्रात्मक- फीचर लेखन सीधा-सपाट न होकर थोड़ा विशिष्ट होना चाहिए। उसकी भाषा और
शैली ऐसी होनी चाहिए कि पाठक के किसी चित्र को देखने का एहसास हो।
Illustrative - Feature writing
should be a bit specific, not straight-forward. Its language and style should
be such that the reader has the feeling of looking at a picture.
9-
भाषा- फीचर की भाषा सरल, सहज और स्पष्ट तो होना बहुत जरूरी है, लेकिन साथ
ही वह कलात्मक और बिंबात्मक भी होनी चाहिए।
Language – The language
of the feature is important to be simple, easy and clear, but at the same time
it should be artistic and imagery.
10- फोटो- फोटो किसी फीचर में
चार चांद लगाने का काम करते हैं। कई बार तो केवल कई सारे अच्छे फोटो के साथ ही
फीचर तैयार हो जाता है जिसे फोटो फीचर कहा जाता है। फोटो के प्रयोग से फीचर का
विषय ज्यादा स्पष्ट हो जाता है। फोटो से फीचर की विश्वसनीयता बनती है और इसकी
प्रस्तुति कलात्मक हो जाती है।
Photo- Photos work to add beauty to a feature. Sometimes a
feature is created with only many good photos, which is called photo feature.
The subject of the feature becomes clear with the use of photos. Photos build
the credibility of a feature and make its presentation artistic.
फीचर लेखन की प्रक्रिया
(Process of Feature Writing)
फीचर लेखन की प्रक्रिया के विभिन्न चरण इस प्रकार
हैं-
The different stages of the feature
writing process are as follows-
1-
विषय का चयन- फीचर की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि विषय कितना नया,
ज्ञानवर्धक, रोचक और उत्प्रेरित करने वाला है। इसीलिए ऐसा विषय चुनना चाहिए जो
समसामयिक, प्रासंगिक और समय के अनकूल हो। उसमें लोगों की पर्याप्त रुचि हो और वह
मानव मन को छूने वाला हो। उसे पढ़कर पाठक के मन में जिज्ञासा जागनी चाहिए और वह
कोई नई जानकारी देने वाला होना चाहिए।
Subject Selection - The
success of the feature depends on how new, informative, interesting and
stimulating the topic is. That is why one should choose a topic which is
contemporary, relevant and appropriate to the times. There should be enough
interest of the people in it and it should touch the human mind. Reading it
should awaken curiosity in the mind of the reader and he should be giving some
new information.
2-
सामग्री संकलन- विषय का चुनाव होने के बाद उससे संबंधित सामग्री को जुटाना होता है।
इसके लिए पुस्तकों, इंटरनेट, पत्र-पत्रिकाओं की सहायता ली जाती है। इसके अतिरिक्तव
व्यक्तिगत अनुभव करके भी सामग्री जुटाई जाती है। इसलिए विषय से संबंधित स्थान की
यात्रा करके और वहां के लोगों से मिलकर तथ्य जुटाए जाते हैं।
Material collection -
After the topic is selected, the material related to it has to be collected.
For this the help of books, internet and magazines is taken. Apart from this,
material is also collected by doing personal experience. Therefore facts are
gathered by traveling to the place related to the subject and meeting the
people there.
3-
फीचर योजना- विषय के चयन और उससे संबंधित जानकारियां जुटाने के बाद फीचर का एक
खाका तैयार किया जाता है। इसी खाके के अनुसार फीचर का लेखन किया जाता है।
Feature
planning - After selecting the
topic and gathering the relevant information, a blueprint of the feature is
prepared. The feature is written according to this blueprint.
फीचर की संरचना (Structure of Feature)
फीचर लेखन की संरचना समाचार लेखन से उलट होती है।
फीचर लेखन के चार प्रमुख हिस्से होते हैं। ये इस प्रकार से हैं-
The structure of feature writing is
opposite to that of news writing. There are four main parts of feature writing.
These are as follows-
1-
शीर्षक- फीचर का शीर्षक मनोरंजक और कलात्मक होना चाहिए। यह आकर्षक हो और
जिज्ञासा जगाने के साथ ही पाठक की संवेदना को छूने वाला होना चाहिए।
Title-
The title of the feature should be entertaining and artistic. It should be
engaging and arousing curiosity as well as touching the reader's sensibility.
2-
इंट्रो या भूमिका- फीचर का इंट्रो बिल्कुल नवीन होना चाहिए। यह घिसा-पिटा न हो। इसमें
समाचार की तरह विषय के सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों का आना जरूरी नहीं है, लेकिन यह दिल
को छूने वाला और उत्सुकता जगाने वाला होना चाहिए। यह पूर्ण भी लगे और इसमें ऐसा
कुछ छूट भी जाए जो उत्सुकता जगाने का काम करे। यह किसी कहावत या उक्ति के साथ शुरू
हो सकता है। इसमें विषय के केंद्रीय पहलू का चित्रात्मक वर्णन किया जा सकता है। यह
कोई रोचक सवाल पूछकर प्रस्तुत किया जा सकता है या फिर इसकी प्रस्तुति बिल्कुल
नाटकीय भी हो सकती है।
Intro or Prelude- The
intro of the feature should be completely new. It should not be worn out/
stereotype/ hackneyed. It doesn't have to
contain the most important facts of the subject like news, but it should be
heartwarming and curious. It should also seem complete and leave something in
it that works to arouse curiosity. It can begin with a proverb or phrase. In
this a pictorial description of the central aspect of the subject can be given.
It can be presented by asking an interesting question or it can be completely
dramatic.
3-
विषय वस्तु या
व्याख्या- फीचर की विषय वस्तु लघु कथा की तरह कसी
हुई होनी चाहिए। इसे बीच में टूटना नहीं चाहिए और इसमें पाठक की उत्सुकता बनी रहनी
चाहिए। इसमें तथ्य भी हों, कथन भी हों और सीख भी हो, लेकिन साथ ही यह उबाऊ नहीं
होना चाहिए। इसमें विषय के सभी पहलुओं की अलग-अलग व्याख्या होनी चाहिए।
Content or Explanation-
The content of the feature should be as tight as that of a short story. It
should not break in the middle and should keep the reader's curiosity in it. It
should have facts, statements and lessons, but at the same time it should not
be boring. It should contain different interpretations of all aspects of the
subject.
4-
उपसंहार या
निष्कर्ष- फीचर का अंत बस यूं ही कहने भर के लिए
नहीं होना चाहिए। वह ऐसा हो कि पाठक को सोचने पर मजबूर करे। उसे कुछ सवाल भी पाठक
के लिए छोड़ने चाहिए। उसे मुख्य विषय की समीक्षा करने वाला और पाठक के दिल पर चोट
करने वाला होना चाहिए।
Conclusion
or Conclusion - The end of the
feature should not be just for saying. It should be such that it makes the
reader think. He should also leave some questions for the reader. He should be
critical of the main topic and strike the heart of the reader.
फीचर के स्रोत
(Sources of Feature)
फीचर के विषय हमें कई स्रोतों से प्राप्त होते
हैं। ये इस प्रकार हैं-
We get the themes of the feature from
many sources. These are as follows-
1-
खबरें- खबरों को ध्यान से देखने पर उनके अंदर हमें फीचर लायक विषय आसानी से
मिल जाते हैं। खबरों में बहुत सी चीजें ऐसी होती हैं जो बिना व्याख्या दिए छोड़ दी
जाती हैं। ऐसे ही मुद्दों पर विस्तृत और रोचक जानकारी देकर फीचर का निर्माण किया
जा सकता है। जैसे सीबीआई में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के संबंध में समाचार पत्रों
में खबर छपती है। इसमें तमाम बातें होती हैं लेकिन एक पत्रकार या लेखक देखता है कि
इसमें सीबीआई की स्थापना, उसके गठन और कार्यप्रणाली के बारे में कोई जानकारी नहीं
है। ऐसे में वह इसी विषय़ को लेकर एक फीचर तैयार कर सकता है।
News- After looking
carefully at the news, we easily get the feature worthy topics inside them.
There are many things in the news that are left unexplained. Features can be
created by giving detailed and interesting information on such issues. Like
news is published in newspapers regarding corruption at high level in CBI.
There are many things in it but a journalist or writer sees that it does not
contain any information about the establishment, formation and functioning of
CBI. In such a situation, he can prepare a feature on this topic.
2-
लोगबाग- अपने जीवन में कुछ अनोखा करने वाले लोग, संघर्ष से नया मुकाम हासिल
करने वाले लोग हर शहर और गांव में मिल जाते हैं। जैसे किसी ने रिक्शा चलाकर ही
अपने बच्चों को काबिल बनाया या किसी महिला ने सब्जियां बेचकर ही अस्पताल बना डाला।
ऐसे लोग फीचर के अच्छे और रोचक विषय बनते हैं।
People - People who do
something unique in their life, people who achieve new heights through struggle
are found in every city and village. Like someone made his children capable by
driving a rickshaw or a woman made a hospital by selling vegetables. Such
people make good and interesting subjects of the feature.
3-
स्थान- आसपास के पर्यटन स्थल, पुरातात्विक महत्व के स्थल, आदिवासी इलाके आदि
भी फीचर के रोचक विषय बनाए जा सकते हैं। इनके बारे में लोग बहुत चाव से पढ़ते हैं।
Location- Nearby tourist
places, sites of archaeological importance, tribal areas etc. can also be made
interesting topics of feature. People read about them with great interest.
4-
जीव-जंतु- हमारे आसपास ऐसे बहुत से जीव-जंतु देखने को मिलते हैं जो अपने आप में
अनोखे होते हैं। जैसे एक दिन में 10 या 15 किलो दूध देने वाली गाय, एक लाख की कीम
का बकरा, जानवरों में होने वाली बीमारियां, महंगा घोड़ा, कोई दुर्लभ जीव जो पहली
बार दिखाई दिया आदि फीचर के विषय बनाए जा सकत हैं।
Animals - There are many
such creatures around us which are unique in themselves. Like a cow giving 10
or 15 kg of milk in a day, a goat worth one lakh, animal diseases, expensive
horse, any rare creature that appeared for the first time etc.
5-
पुस्तकें- पुस्तकों से फीचर के लिए तो मदद मिलती ही है, पुस्तकें स्वयं भी फीचर
का विषय हो सकती हैं। किसी चर्चित पुस्तक की समीक्षा लिखी जा सकती है या किसी
पुस्तक में उठाए गए विवादास्पद मुद्दों पर फीचर लिखा जा सकता है।
Books- Books not only help for the feature, the books
themselves can also be the subject of the feature. One can write a review of a
popular book or write a feature on the controversial issues raised in a book.
6-
अनुसंधान- शहर के विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थानों, खेत-खलिहानों आदि में
समय-समय पर लोग नए प्रकार की खोजें करते रहते हैं या समस्याओं का हल खोजते रहते
हैं। ऐसी खोजें और हल के संबंध में रोचक फीचर लिखे जा सकते हैं।
Research- In the
universities, educational institutions, farm-barns etc. of the city from time
to time, people keep on making new types of discoveries or finding solutions to
problems. Interesting features can be written about such discoveries and
solutions.
7-
प्रकृति- प्रकृति के बदलते रंग, मौसम की अठखेलियां, प्राकृतिक आपदाएं आदि भी
फीचर लेखन के लिए अच्छे विषय होते हैं।
Nature - Changing colors
of nature, weather changes, natural calamities etc. are also good topics for
feature writing.
8-
आयोजन, कार्यक्रम,
मेले- आसपास के क्षेत्र में होने वाले
छोटे-बड़े मेले, विभिन्न कार्यक्रम और आयोजन अपने आप में फीचर के लिए बहुत अच्छे
विषय होते हैं।
Events,
Fairs - Small and big fairs,
various events in the surrounding area are great subjects to feature in
themselves.
-लव कुमार सिंह
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