Sunday, 28 February 2021

स्टांप पेपर चाहिए तो स्वयं कैसे प्रिंट करें?

How to print your stamp paper yourself

If you are having trouble getting stamp paper then print it yourself



जी हां, अब आप 500 रुपये तक के स्टांप पेपर स्वयं प्रिंट कर सकते हैं। स्टांप पेपरों की कालाबाजारी को देखते हुए स्वयं सरकार ने लोगों को यह सुविधा मुहैया कराई है। हम सब जानते हैं कि 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के स्टांप पेपर की बहुत किल्लत है और ये हमें तीन से पांच गुना मूल्य पर ब्लैक में मिलते हैं। इसी समस्या का हल अब सरकार ने इस प्रकार से निकाला है।

25 फरवरी 2021 को जारी सरकारी आदेश के अनुसार इसके लिए दो वेबसाइट्स पर जाकर और ऑनलाइन भुगतान करके आप 500 रुपये मूल्य तक के स्टांप का प्रिंट निकाल सकते हैं। ये वेबसाइट्स हैं-

  1. स्टाक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट जिसका पता है- www.shcilestamp.com
  2. दूसरी वेबसाइट स्टांप विभाग की है, जिसका पता है- igrsup.gov.in
इन दोनों में से किसी भी वेबसाइट पर जाकर आप नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड या यूपीआई के जरिये भुगतान करिए और 500 रुपये तक का मनचाहा स्टांप प्रिंट करा लीजिए। ध्यान रहे कि स्टांप पेपर को आपको सामान्य कागजपर नहीं बल्कि एक विशेष कागज पर प्रिंट कराना होगा, जिसे 
'80  जीएसएम एक्जीक्यूटिव बांड पेपर' कहते हैं। 
यह बांड पेपर या तो प्रिंट निकालने वाली दुकान पर होगा या फिर आपको स्टेशनरी की दुकान से मिल जाएगा। तो देर किस बात की है, अब जब कभी भी स्टांप की जरूरत पड़े तो इसी प्रकार से आसानी से स्टांप पेपर प्रिंट करा लीजिए।

- लव कुमार सिंह


Saturday, 27 February 2021

कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

How to register to get Corona vaccine?



स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना की वैक्सीन लगाने के बाद अब सरकार ने अन्य लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके अनुसार यदि आपकी आयु 60 वर्ष या इससे ज्यादा है या यदि आपकी आयु 45 वर्ष से 59 वर्ष के बीच में है और आपको कोई गंभीर बीमारी है तो आप कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने के योग्य हैं। लेकिन कोरोना का टीका लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है।

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तीन तरह से की जा सकती है।

  • एडवांस सेल्फ रजिस्ट्रेशन,
  • ऑन-साइट रजिस्ट्रेशन और
  • फेसिलेटिड कोहोर्ट रजिस्ट्रेशन। 

1

एडवांस सेल्फ रजिस्ट्रेशन


इसके लिए एक ऐप है। जिसका नाम है कोविन। Co-WIN 2.0 ऐप को डाउनलोड करके लोग खुद को एडवांस में सेल्फ रजिस्टर्ड कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य ऐप्स जैसे Arogya Setu से भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। सेल्फ रजिस्ट्रेशन के बाद इस कार्य में जुड़े सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल यूजर को दी गई तारीख और समय स्लॉट के साथ मिलेंगे। यूजर अपनी मर्जी के हिसाब से कोविड वैक्सीन सेंटर (CVC) का चुनाव कर सकते हैं और वैक्सीन के लिए समय का चुनाव कर सकते हैं।


ऑन साइट रजिस्ट्रेशन


जो लोग खुद रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकते हैं तो उनके लिए ऑन साइट रजिस्ट्रेशन का ऑप्शन भी दिया गया है। इसमें यूजर खुद देखे गए कोविड वैक्सीन सेंटर में जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं।


अन्य विकल्प


अन्य विकल्प के तौर पर राज्य सरकारें लोगों के बड़े ग्रुप को वैक्सीन लगवाने के लिए बल्क स्लॉट रजिस्टर्ड कर सकती हैं और उसके बाद उन्हें वैक्सीन सेंटर लाकर वैक्सीन लगवा सकती हैं। कोरोनावायरस वैक्सीनेशन के लिए एक तारीख तय की जाएगी और उस दिन तय लोगों को लाकर टीका लगवाएगी। राज्य और स्वास्थ्य अधिकारी तय करेंगे कि तय लोगों को कैसे वैक्सीननेशन सेंटर पर लाया जाए। आशा, एएनएम,  पंचायती राज प्रतिनिधि और वुमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHGs) लोगों को एकत्रित करने में मदद करेंगे।


जरूरी दस्तावेज


सभी लोगों को इस दौरान फोटो आईडी दस्तावेज जैसे कि आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड रखना होगा। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए फोटो आईडी कार्ड जरूरी है। 45 वर्ष से 59 वर्ष की उम्र के लोगों के लिए बीमारी का सर्टिफिकेट जरूरी है। एम्लोयमेंट सर्टिफिकेट या ऑफिशियल आईडेंटिटी कार्ड भी काम आएगा।


वैक्सीन की फीस


सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन मुफ्त में लग रही है, जबकि टीकाकरण के लिए चुने गए सरकारी अस्पतालों में इसके लिए 250 रुपये देने होंगे। इसमें 150 रुपये वैक्सीन के हैं और 100 रुपये अस्पताल का चार्ज।


रजिस्ट्रेशन का तरीका


  • cowin.gov.in वेबसाइट या फिर Co-WIN ऐप पर जाएं।
  • यहां अपना मोबाइल नंबर या फिर आधार नंबर दर्ज करना होगा।
  • अब आपको एक ओटीपी मिलेगा, जिसके साथ आपका अकाउंट बन जाएगा।
  • इस अकाउंट पर परिवार के अन्य सदस्यों को भी रजिस्टर्ड किया जा सकता है।
  • एकाउंट बनने के बाद तारीख, सेंटर और समय भरने की प्रक्रिया पूरी करें।
  • इसके बाद तय तारीख और समय पर वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचें और वहां अपनी रेफ्रेंस आईडी बताएं।
  • इस दौरान अगर आपकी 60 वर्ष या इससे ज्यादा की उम्र का प्रमाण पत्र दिखाना होगा। उम्र 45 वर्ष से अधिक है तो आपको अपनी बीमारी संबंधी प्रमाणपत्र दिखाना होगा।
- लव कुमार सिंह

फरवरी 2019 की और 2021 की

लीजिए 2021 की गर्म फरवरी में आप मिलिए 2019 की ठंडी फरवरी से।

इतनी बदली फरवरी से आप थोड़े आश्चर्य में पड़ सकते हैं।

वैसे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, स्मृति पर जोर डालेंगे तो याद आ जाएगा।

(नीचे हैं 2019 की फरवरी में जनवरी जैसी ठंड पड़ने पर लिखी कुछ पंक्तियां)



उफ ये ठंड

पता नहीं फरवरी

फूफी के यहां शादी में गई है

या फिर जनवरी

ओवरटाइम कर रही है

या बॉस ने उसे

वीकली ऑफ (ईयरली ऑफ) में भी बुला लिया है

या जनवरी-फरवरी

परिधानों की अदल-बदल खेल रही हैं।


.......


जो भी हो

उनके इस खेल से

बहुतों की जान पर बन रही है

शी-शी, ओह, उफ, उ-फू, अरे-मरे

मुंह से विचित्र ध्वनियां निकल रही हैं। 

.......


ऐसे दिनों के लिए किसी ने

एक कहावती रजाईभी बनाई है

कि ठंड और बेइज्जती

जितना ज्यादा महसूस करो

उतना ही ज्यादा लगती हैं

तो हम फिलहाल 

यही रजाई’ ओढ़े हैं

और बेरहम जाड़े को 

काटने की कोशिश कर रहे हैं।


- लव कुमार सिंह

Thursday, 25 February 2021

गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?

भारत बनाम इंग्लैंड, तीसरा डे-नाइट टेस्ट, नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद, 25 फरवरी 2021



वो मारा-वो मारा, अपन ने अंग्रेजों को दे मारा

पर रुको-रुको, मजा कुछ कम हो जा रा

एक सवाल दिमाग में बार-बार आ रा

तो सुनो.....

.......

गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?

गेंद गुलाबी होते ही, इसे जाड़ा क्यूं चढ़ जाता है?

‘जो’ भी सामने जाता है, अपनी ‘रूट’ उखाड़ दे आता है

कोई कितना विराट क्यों न हो, सूक्ष्म-सूक्ष्म हो जाता है

गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?

.......

और पिच प्यारी के क्या कहने, इसे नाच नचाना आता है

खिलाड़ियों की औकात नहीं, गर पिच को टूटना आता है

मोदी मैदान की पिच बोले, किसी बड़े झाम की ना जरूरत

ऐसे विकेटों की पतझड़ में, मैच टेनिस मैदान पर हो जाता है।

गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?

.......

लगता है डे-नाइट मैच में, समय चक्र बिगड़ जाता है

आराम का जब टाइम हो गया, तब खेलने क्या कोई जाता है?

शाम को जब फ्रेश होने की बारी, तब बैटिंग का नंबर आता है

जब बॉडी-माइंड ही फ्रेश नहीं, तो बल्ला मुरझा जाता है।

गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?

..........

गेंद लाल ही रहने दो, इसमें आपका क्या घट जाता है?

कह दो, एक मैच में पिच होगी सफाचट, दूसरा घास को जाता है

टेस्ट के दिन चार करो, धीमी रन गति पर दंड लगा दो

इसके बाद टेस्ट में देखो, कितना मजा फिर आता है।

गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?

-लव कुमार सिंह

Saturday, 13 February 2021

कानों में पड़े नए/विशेष शब्द- 'कोल्ड गन' क्या है, जिससे चली गोली से फिल्म के सेट पर सिनेमैटोग्राफर की मृत्यु हो गई?

New/special words in the ears - What is the 'cold gun' that resulted in the death of the cinematographer on the sets of the film?



कोल्ड गन (Cold Gun)

पिछले दिनों अमेरिकी फिल्म 'रस्ट' के सेट पर रिहर्सल के दौरान अभूतपूर्व घटना हुई। अभिनेता एलेक बाल्डविन ने रिहर्सल के दौरान रिवाल्वर निकाली और जब उसका ट्रिगर दबा तो रिवाल्वर कैमरे की तरफ तनी हुई थी। गोली चल गई और सिनेमैटोग्राफर हैलाइना हचिंस की मौत हो गई, जबकि निर्देशक जोएल सूजा घायल हो गए। घटना की फॉलोअप खबरों में एक नया शब्द सुनने को मिला है- 'कोल्ड गन'। कानूनी दस्तावेजों के अनुसार बाल्डविन को बताया गया था कि उनके हाथ में जो हथियार है वह 'कोल्ड गन' है, जिसका अर्थ है कि गन अनलोडेड है यानी उसमें गोली नहीं है।


स्टील्थिंग (Stealthing)

हम भारत वाले जहां महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से जूझते रहते हैं, वहीं विकसित देशों में कुछ दूसरे ही मुद्दे देखने को मिलते हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य की असेंबली ने 'स्टेल्थिंग' पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये स्टेल्थिंग क्या है? स्टेल्थिंग का अर्थ है सेक्स के दौरान अपने साथी की जानकारी या सहमति के बिना कंडोम हटाना। अमेरिका और पश्चिमी देशों में यह बड़ा मुद्दा है। वहां बाकायदा इसके लिए अभियान चलाए गए हैं। पिछले दिनों आस्ट्रेलिया में भी वहां के राजधानी क्षेत्र में स्टेल्थिंग को गैरकानूनी घोषित किया गया था। नए कानून के तहत वहां अब इसे यौन हमला माना जाएगा। स्टेल्थिंग से साथी के यौन संचारित रोगों से संक्रमित या गर्भवती होने का ख़तरा पैदा हो जाता है। साथ ही यह पीड़ित या पीड़िता की गरिमा का भी उल्लंघन करता है।  


सरोगेट विज्ञापन surrogate ad

सरोगेट विज्ञापन वह होता है जिसमें कोई कंपनी अपनी दूसरे उत्पाद की आड़ लेकर प्रतिबंधित उत्पादों का  प्रचार करती है। इसे हम 'एवजी विज्ञापन' भी कह सकते हैं। जैसे कि कोई शराब निर्माता कंपनी नामी लोगों से सोडा का विज्ञापन कराती है। विज्ञापन तो सोडा का होता है लेकिन उसके बहाने से कंपनी के शराब ब्रांड का भी विज्ञापन हो जाता है। पिछले दिनों अमिताभ बच्चन भी ऐसे ही एक पान मसाला ब्रांड के विज्ञापन में नजर आए जो कि इस ब्रांड का सरोगेट विज्ञापन था। लोगों द्वारा आलोचना के बाद अमिताभ बच्चन ने अब इस ब्रांड के विज्ञापन से खुद को अलग कर लिया है।

पैंडोरा Pandora

भारत समेत 91 देशों के वर्तमान और पूर्व नेताओं, अफसरों और मशहूर हस्तियों के वित्तीय रहस्यों को उजागर करने वाले  दस्तावेजों को पैंडोरा पेपर्स नाम दिया गया। पैंडोरा पेपर्स का शाब्दिक अर्थ है- भानुमति के पिटारे से निकले दस्तावेज। भानुमति के पिटारे का अर्थ है- तरह-तरह की वस्तुओं से भरा हुआ पिटारा। पैंडोरा शनि का एक आंतरिक उपग्रह भी है।


मिडिल किंगडम सिंड्रोम Middle Kingdom Syndrome
यह शब्द चीन के  संदर्भ में प्रयोग होता है। मेरठ में 25 सितंबर 2021 को हुए एक सेमिनार में रिटायर्ड मेजर जनरल बिपिन बख्शी ने कहा कि चीन 'मिडिल किंगडम सिंड्रोम' से ग्रसित है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि हमारे नीचे नरक है और ऊपर स्वर्ग है। चीन को लगता है कि उसके आसपास के लोग असभ्य हैं। उसे लगता है कि उसके आसपास की हर जमीन पर उसका अधिकार है और वह उस पर नियंत्रण कर सकता है।

एकात्म मानव दर्शन
इसे एकात्म मानववाद भी कहा जाता है। इसके प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय थे। इसे उन्होंने मुंबई में 1965 में दिये व्याख्यान में प्रस्तुत किया था। 1965 के ही विजयवाड़ा अधिवेशन में भारीतय जनसंघ ने इसे स्वीकार किया। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मार्गदर्शक दर्शन है। इसके अनुसार भारत को देश से बहुत अधिक आगे बढ़कर एक राष्ट्र के रूप में और इसके निवासियों को नागरिक नहीं बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में मानने के विस्तृत दृष्टिकोण का अर्थ है एकात्म मानववाद। व्यक्ति की आत्म को सर्वोपरि स्थान पर रखने वाले इस सिद्धांत में आत्म बोध करने वाले व्यक्ति को समाज का शीर्ष माना गया। आत्म बोध के भाव से उत्कर्ष करता हुआ व्यक्ति सर्वे भवंतु सुखिनः के भाव से जब अपनी रचना धर्मिता और उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग करे तब एकात्म मानववाद का उदय होता है। एकात्म मानववाद को सर्पिलाकार मंडलाकृति से भी स्पष्ट की जा सकती है जिसके केंद्र में व्यक्ति, व्यक्ति से जुड़ा हुआ एक घेरा परिवार, परिवार से जुड़ा हुआ एक घेरा -समाज, जाति, फिर राष्ट्र, विश्व और फिर अनंत ब्रम्हांड को अपने में समाविष्ट किये है। इस अखंड मंडलाकार आकृति में एक घटक में से दूसरे, फिर दूसरे से तीसरे का विकास होता जाता है। सभी एक-दूसरे से जुड़कर अपना अस्तित्व साधते हुए एक-दूसरे के पूरक एवं स्वाभाविक सहयोगी है। इनमे कोई संघर्ष नहीं है।

अंत्योदय
अंत्योदय का शाब्दिक अर्थ है- अंत्य का उदय। अंत्य से तात्पर्य समाज के उपेक्षित और कमजोर वर्ग से है। इस प्रकार आर्थिक रूप से कमज़ोर और पिछड़े वर्गों का उदय या विकास करने की क्रिया या भाव अंत्योदय कहलाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद दर्शन को अंत्योदय को ही समर्पित माना जाता है। इसका मोटा-मोटा अर्थ है- विकास की प्रक्रिया में समाज का कोई भी व्यक्ति ना छूटे। विकास सर्वसमावेशी, सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी और सर्वपोषक हो।

कालाति क्रमात काल एव फलम पिबति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाणक्य द्वारा कहे इस वाक्य को संयुक्त राष्ट्र में 25 सितंबर 2021 को दिए अपने संबोधन में कहा। इसका अर्थ है- जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है।

शुभो कोर्मो-पोेथे धोरो निर्भयो गान, शोब दुर्बोल सोशेय होक ओबोसान
नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में रविंद्रनाथ टैगोर के इस वाक्य को भी कहा। इसका अर्थ है- अपने शुभ कर्मपथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो। सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त होंगी।

डेमोग्राफिक चेंज 
इस जनसांख्यकीय बदलाव भी कहते हैं। जब किसी क्षेत्र विशेष की जनसंख्या में एक विशेष अवधि में बदलाव देखने को मिलता है तो उसे डेमोग्राफिक चेंज या जनसांख्यकीय बदलाव कहते हैं। यह शब्द इसलिये चर्चा में है क्योंकि नेपाल से सटे उत्तराखंड के कई जिलों में बहुत तेजी से जनसांख्यकीय बदलाव होने की रिपोर्ट मीडिया में आ रही है। 

शाहीन, यास, ताउते
भारत के आसपास के समुद्री तट में आगे (सितंबर 2021 के बाद) जो तूफान आएगा, उसका नाम शाहीन होगा। यह नाम कतर ने रखा है। शाहीन का अर्थ है- बहुत ऊंचाई पर उडऩे वाली शिकारी पक्षी यानी फाल्कन या गरुड़।
इससे पहले आए तूफानों में ओमान ने एक तूफान का नाम 'यास' रखा था। यास का  अर्थ निराशा, मायूसी, भय, अंदेशा होता है। 
उधर जब म्यांमार की बारी आई तो उसने तूफान का नाम 'ताउते' रखा था। ताउते का अर्थ होता है- तेज आवाज करने वाली छिपकली।

रिहैबलिटेशन
इसे हिंदी में पुनर्वास या बहाली कहा जाता है। पुनर्वास का अर्थ है फिर से बसाना या पुनः प्रतिष्ठित होना। आजकल यह शब्द खास तौर से तब उपयोग किया जाता है जब कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है और मैदान पर फिर से वापसी करने के लिए चिकित्सकीय देखरेख, आराम आदि के लिए खेल से बाहर हो जाता है। उदाहरण के तौर पर इस समय क्रिकेटर कुलदीप यादव अपने घुटने की चोट की वजह से खेल से बाहर हो गए हैं। उनके लिये यह वाक्य प्रयोग किया गया- खेल में वापसी से पहले कुलदीप को लंबी पुनर्वास प्रक्रिया (रिहैबलिटेशन) से गुजरना होगा। इस शब्द को नशे की लत से छुटकारा पाने के लिये विशेषज्ञों की शरण में गए व्यक्ति के लिये भी प्रयोग किया जाता है। 

अठवाडिया
यह शब्द किसान आंदोलन में सुनने को मिला। कृषि कानून विरोधी धरने में आने वाले लोगों से किसान नेता राकेश टिकैत ने 13 फरवरी 2021 को आह्वान किया कि वे अठवाडिया बनें। अठवाडिया यानी आठ दिन तक रुकने वाला। राकेश टिकैत ने कहा कि जैसे पहले मेहमान आते थे तो आठ दिन रुकते थे। उन्हें अठवाडिया कहा जाता था। राकेश टिकैत ने कहा कि अठवाडिया मेहमान की ही तरह धरने पर आने वाले लोग जिस दिन आए, अगले सप्ताह उसी दिन जाएं। 

डूम्सडे मैन
इस शब्द का अर्थ है प्रलय की बात करने वाला व्यक्ति।  डूम्सडे मैन अमेरिकी कॉमिक्स 'एवेंजर्स' का एक काल्पनिक पात्र है जो कॉमिक्स के नायक कैरोल डंवर्स का दुश्मन होता है। वह झूठी अफवाहें फैलाता है और प्रलय की बात करता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 फरवरी 2021 को लोकसभा में राहुल गांधी को भारत का डूम्सडे मैन करार दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस हर बात पर भ्रम फैलाते हैं, बेबुनियाद आरोप लगाते हैं और संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करते हैं।

एप्ला (APLA)
यह एक बीमारी का नाम है जो फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को हुई थी। इसकी वजह से शिल्पा शेट्टी को बार-बार गर्भपात का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने फरवरी 2020 में सरोगेसी से एक बेटी को जन्म दिया। बेटी का नाम उन्होंने समिशा रखा है। इससे पहले वे एक पुत्र वियान की मां बन चुकी हैं। शिल्पा शेट्टी ने मदर्स डे (10 मई 2020) के अवसर पर मीडिया को इस बारे में जानकारी दी। इस बीमारी का पूरा नाम एंटीफोसफोलिपिड सिंड्रोम है। यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है। इसमें हमारा शरीर ऐसी कोशिकाएं बनाता है जो स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें खत्म कर देती हैं। असामान्य कोशिकाएं शरीर में खून के थक्के जमने की प्रक्रिया पर हमला करती हैं जिससे खून में जल्दी-जल्दी थक्के जमने लगते हैं। खून के थक्के जमने से रक्त प्रवाह में बाधा आती है और इससे गर्भकिडनीफेफड़ेदिमागहाथ-पैर आदि अंग प्रभावित होते हैं। ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन महिलाओं को ज्यादा होती है और ऐसा होने पर गर्भपात जैसी समस्याएं सामने आती हैं। गर्भपात नहीं होता तो बच्चा अविकसित या मृत भी पैदा हो सकता है। शिल्पा शेट्टी द्वारा एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू के अनुसार वह कई सालों तक गर्भधारण की कोशिश करती रहीं लेकिन इस बीमारी के कारण उन्हें बार-बार गर्भपात हो जाता था। शिल्पा शेट्टी को हुई एप्ला सिंड्रोम नाम की समस्या महिला, पुरुष, बच्चों किसी भी में भी हो सकती है लेकिन यह महिलाओं में ही ज्यादातर देखने को मिलती है। इसका कारण हार्मोनल और आनुवंशिक दोनों हो सकता है। महिलाओं के शरीर में मिलने वाले हार्मोन एस्ट्रोजन के कारण भी उनका खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे रक्त का थक्का जमने की समस्या पैदा हो जाती है। हालांकि एप्ला सिंड्रोम नाम की यह बीमारी एक दुर्लभ बीमारी है और दुनिया में एक लाख लोगों में से 40-50 लोगों को ही होती है।

लेइरम फी (Leirum Phi)


'लेइरम फीको यदि मैं गमछा कहूं तो आप तुरंत समझ जाएंगे। जी हांयह उसी गमछे की बात हो रही है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2020 में राष्ट्र के नाम संबोधन में पहना था। इसके बाद देखते-देखते यह गमछा पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया। देशभर में इसकी मांग बढ़ी तो कई राज्यों में लोग इसे बनाने लगे। कुछ लोग अपने ढंग से बनाने लगे। उत्तर प्रदेश में तो यह 'मोदी गमछे' के नाम से बिक रहा है। यह देखकर इस गमछे के मूल राज्य मणिपुर ने कमर कसी और उसने इस गमछे के जीई टैग (जियोलॉजिकल आइडेंटिफिकेशन टैग) के लिए आवेदन किया है ताकि इस गमछे की मणिपुरी पहचान कायम रहे।

                         

दरअसल यह मणिपुर का पारंपरिक गमछा है। ये वहां शादी के अवसर पर उपहार में दिया जाता है। मणिपुर में 'फी' का अर्थ कपड़ा होता है और 'लेइरम' इस वस्त्र के टाइप का नाम है। वैसे असम भी इस गमछे को अपना बताता है और वह भी जीआई टैग के लिए दावा करने की बात कह रहा है। इसलिए जीआई टैग के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है।
इस गमछे के बारे में नरेंद्र मोदी ने अक्षय कुमार के इंटरव्यू में खुलासा किया था कि यह गमछा उनके लिए बहुउपयोगी है। यह उन्हें दर्द से भी राहत दिलाता है। मोदी ने बताया कि जब लंबी यात्राओं और लंबे समय तक कार्य करने बाद उनके शरीर या पैरों में दर्द होता है तो इस गमछे को पैरों में बांध लेते हैं। इसके बाद वे बांस के डंडे से इसे घुमाते हैं। इससे जकड़न होती है और पैरों की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं। इससे पैरों का दर्द दूर हो जाता है।

पर्सोना नॉन ग्राटा (Persona Non Grata)

इस वाक्यांश का अर्थ होता है अवांछित। यह तब पढ़ने को मिला जब 31 मई 2020 को भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अफसरों को जासूसी के आरोप में पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित कर दिया और उन्हें भारत से निकल जाने का आदेश दिया।

गार्स्टिन बैस्टियन रोड (Garstin Bastion Road)

दिल्ली में एक रोड के लिए यदि मैं गार्स्टिन बैस्टियन रोड कहूं तो आप नहीं समझ पाएंगेलेकिन जीबी रोड कहूं तो आप तुरंत समझ जाओगे। दिल्ली में यह अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक करीब एक किलोमीटर से अधिक की दूरी में फैली रोड है जिसे जीबी रोड या गार्स्टिन बैस्टियन रोड कहते हैं। यह दिल्ली का रेड लाइट एरिया है जहां 4 हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स रहती हैं। कोरोना संकट के इस दौर में जब मीडिया ने इस रोड का हाल लिखा तो पता चला कि जीबी का मतलब गार्स्टिन बैस्टियन है। बताया जाता है कि पहले दिल्ली में पांच वेश्यालय थे। गार्स्टिन बैस्टियन नाम के ब्रिटिश कमिश्नर ने इन सभी को एक रेड लाइट एरिया में समाहित कर दिया। इसीलिए इस रोड का नाम उनके नाम पर रखा गया।

जंग-ए-बदर (Jung-e-Badr)

जब पुलवामा में 28 मई 2020 को 50 किलो विस्फोटक पकड़ा गया तो पुलिस के खुलासे में बताया गया कि आतंकवादियों की जंग-ए-बदर के दिन यह हमला करने की योजना थी। जंग-ए-बदर 17वें रोजे के दिन लड़ी गई इस्लाम की पहली जंग कही जाती है। इस जंग में पैगंबर भी लड़े थे इसलिए 17वें रोजे को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह जंग सऊदी अरब में मदीना शहर से 200 किमी. दूर स्थित बदर नामक क्षेत्र में 624 ईसवीं में लड़ी गई थी। 

चीमेरिका #Chimerica

हूवर इंस्टिट्यूशन के अमेरिकी इतिहासकार निएल फर्ग्यूसन ने 2020 में कोरोना संकट के संदर्भ में चीन और अमेरिका को लेकर एक नया शब्द प्रयोग किया- 'चीमेरिका'। उनका कहना था कि आज कोरोना वायरस के कारण जो उथल-पुथल दुनिया में मची है उसका कारण 0.125 माइक्रो व्यास वाला कोरोना वायरस नहीं बल्कि दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली देश चीन व अमेरिका हैं जिन्होंने पूरी दुनिया के आत्मविश्वास को हिलाकर रख दिया है। बीते एक दशक या उससे भी थोड़े ज़्यादा समय से चीन और अमरीका ने आर्थिक संबंधों वाला मॉडल विकसित किया हैजिसकी तुलना फर्ग्यूसन ‘निचेबेई’ (पिछली शताब्दी के अंत तक अमेरिका-जापान के मजबूत आर्थिक संबंधों) से करते हैं। कोरोना वायरस ने इसी 'चीमेरिकाको काल्पनिक धारणा में बदल दिया है।


तेग #Teg

2020 के शुरू में सुनिधि चौहान और उनके दूसरे पति के बीच तलाक होने की खबर आई तो पता चला कि उनके एक बेटा भी है जिसका नाम उन्होंने ‘तेग’ रखा है। गुरु तेगबहादुर के रूप में तेग शब्द हमने सुना तो है लेकिन खाली तेग’ को पढ़कर यह बड़ा नया नाम लगा। तेग का अर्थ है- तलवार, कृपाण, खड्ग, असि।

कौस्तुभ #Kaustubh



कोरोना काल में एक रिश्तेदार के यहां पुत्र उत्पन्न हुआ। पता चला कि उन्होंने उसका नाम ‘कौस्तुभ’ रखा है। इसका क्या अर्थ हुआ? खोजा तो पता चला कि कौस्तुभ का अर्थ है- विष्णु के गले की मणि।

षमिताभ
जब पहली बार लोगों ने अमिताभ की फिल्म 'षमिताभ' के बारे में सुना तो इसके अजीबोगरीब नाम के अर्थ को लेकर काफी माथापच्ची हुई। बाद में पता चला कि इसका तो कोई मतलब ही नहीं है। यह तो अभिनेता धनुष के नाम के अंतिम शब्द और अमिताभ के नाम के तीन शब्दों को मिलाकर यूं ही गढ़ दिया गया है। 
पिडली
'षमिताभ' फिल्म में ही एक गाना सुनने को मिला- 'पिडली सी बातें...।' गाने में प्रयोग हुए पिडली शब्द ने लोगों को चौंका दिया। शुरू में लगा कि गाना हिंदी में है तो यह पिंडली होगा, लेकिन पिंडली जैसी बातें कैसी होती हैं, यह किसी के समझ में नहीं आया। फिर पता चला कि यह तो अंग्रेजी का शब्द है और इस गाने में बार-बार इसका इस्तेमाल किया गया है। दरअसल, अंग्रेजी शब्द 'पिडली' का मतलब मामूली, साधारण, नगण्य, घिसा-पिटा, तुच्छ, अत्यल्प आदि होता है। पिडली से ही मिलता-जुलता शब्द पिडल है, जिसका मतलब पेशाब करना या बेकार में समय बरबाद करना भी होता है। 
अंग्रेजी के वाक्यों में पिडली का इस्तेमाल कुछ इस प्रकार से होता है-
-          I don't want to argue about piddly details.
-          There's only a piddly difference in price between the two paintings, so take whichever you prefer
गीतकार स्वानंद किरकिरे पिडली सी बातें की जगह छोटी सी बातें भी कह सकते थे, मगर या तो वे जबरदस्ती उत्सुकता जगाना चाहते थे या चूंकि पिडली का कुछ संबंध टॉयलेट से भी है, इसलिए इसी शब्द को खासतौर से इस्तेमाल किया गया है। इसलिए पिडली शब्द के इस्तेमाल का पूरा उद्देश्य तो फिल्म देखने के बाद ही स्पष्ट होगा। 
यहां प्रस्तुत है पिडली सी बातें गाने के बोल---

पिडली सी बातें क्यों करती हो शरमा के
पिडली सी बातें
पिडली इरादे मैं सच करू आते जाते
पिडली इरादे
पगला हु यार या पगला है प्यार
ऐसे चलता है ये कारोबार
प्यार के साए में सब पिडली है यार
पिडली सी बातें क्यों करती हो शरमा के
पिडली सी बातें
खिली खिली सूरत तेरी
उसके आगे सब हैं पिडली पिडली
मिली मिली ऐसी खुशी
इसके आगे सब हैं पिडली पिडली
लब की लिफाफों में जो लिखी है मर्जियां
चुपके से सुनने में ही है मज़ा
लफ्जों के कब्जों में जो छुपी हैं चाहतें
आँखों से पड़ने में ही है नशा
नशे के साये में सब पिडली हैं यार
पिडली सी बातें क्यों करती हो शरमा के
पिडली सी बातें
पिडली इरादे मैं सच करू आते जाते
पिडली इरादे
वादे मुरादें येह हे…..

मिष्टी हब

अभी तक हमने एजुकेशन हबआईटी हब जैसे नाम सुने हैंलेकिन यह है मिष्टी हब यानी मिठाइयों का हब। यह कोलकाता के न्यूटाउन में स्थित हैजहां मिठाइयों के प्रतिष्ठानों की भरमार है। मिष्टी हब इसलिए चर्चा में आया है क्योंकि रसगुल्ला के लिए पश्चिमी बंगाल को जीआई टैग मिलने के उपलक्ष्य में राज्य सरकार ने 14 नवंबर को रसगुल्ला दिवस मनाने का फैसला किया और इस समारोह का केंद्र बिंदु मिष्टी हब को बनाने का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि जीआई टैग को लेकर पिछले साल पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा में भारी प्रतिस्पर्धा हुई थी और अंत में परिणाम पश्चिमी बंगाल के पक्ष में गया था। ...तो आगे से कोलकाता जाएं तो मिष्टी हब जरूर जाएं।

ओउमुआमुआ


यह एक तारकीय क्षुद्रग्रह (एस्ट्रल एस्टेरॉयड) है जो 2017 के अक्टूबर माह में खोजा गया था। तारकीय क्षुद्रग्रह वह आकाशीय पिंड होता है तो तारों से आता है। दूसरे शब्दों में सूर्य के अतिरिक्त किसी अन्य तारे का चक्कर लगा रहे पिंड के लिए तारकीय शब्द का प्रयोग होता है। ओउमुआमुआ अब तक खोजा गया पहला क्षुद्रग्रह है जो किसी अन्य तारे की परिक्रमा करते हुए हमारे सौरमंडल तक पहुंचा। चूंकि इसे अमेरिका के नियंत्रण वाले हवाई प्रांत में स्थित दूरबीन द्वारा खोजा गयाइसलिए इसे हवाई भाषा का नाम ओउमुआमुआ दिया गया। 
ओउमुआमुआ का अर्थ है- संदेशवाहक। इसका आकार भी गोल न होकर सिगार के जैसा है। ओउमुआमुआ का अनोखा आकार ब्रह्मांड की संरचना और सौरमंडल के बनने की प्रक्रिया के बारे में जानने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकता है। 2017 में खोजा गया ओउमुआमुआ एक बार फिर चर्चा में इसलिए है क्योंकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिकों ने अपने शोध में इस बात का दावा किया है कि ओउमुआमुआ को एलियंस ने हमारे सौरमंडल में भेजा था।

विलुपात्तू




यह एक अनोखा वाद्य यंत्र है। यह अप्रैल 2020 में उस समय चर्चा में आया जब इसे बजाने वाली भारत की सबसे वृद्ध कलाकार पूंगनी (86 वर्ष) का हाल ही में निधन हो गया। विशाल धनुष के आकार जैसा यह वाद्ययंत्र तमिलनाडु में खासतौर से बजाया जाता है।

शून्य भूख


चीन के चांग्शा शहर में नवंबर 2018 को 'चांग्शा घोषणापत्रजारी किया गयाजिसमें गरीबी और भूख को मिटाने की संकल्प लिया गया। इसी दौरान 'जीरो हंगरया 'शून्य भूखका जैसे शब्द चर्चा में आए। इस घोषणापत्र पर 26 देशों और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने हस्ताक्षर किए। इसमें 2030 तक भूख को मिटाने यानी सभी का पेट भरने का संकल्प लिया गया।

संगवारी


यह शब्द विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में सुनने को मिला। यह ऐसे मतदान केंद्र थे जहां की पूरी कमान महिलाओं के हाथों में थी। छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से कुछ क्षेत्रों में ऐसे मतदान केंद्र बनाए गए जहां निर्वाचन से जुड़े सभी अधिकारी और कर्मचारी महिला रखे गए। हालांकि चुनाव आयोग ने ऐसे मतदान केंद्रों को ‘पिंक बूथ’ का भी नाम दिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इन्हें ‘संगवारी’ कहा गया।
- लव कुमार सिंह

Sunday, 7 February 2021

जमाने का मजाक उड़ाने वाले कपिल शर्मा जी, आप तो बड़े 'वो' निकले

जमाने का मजाक उड़ाने वाले कपिल शर्मा जी, आप तो बड़े 'वो' निकले



इस बात को ज्यादा दिन नहीं हुए। दिसंबर 2019 की बात है, जब मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा और उनकी पत्नी गिन्नी चतरथ माता-पिता बने थे। तब गिन्नी ने एक पुत्री को जन्म दिया था। लेकिन मुश्किल से एक ही साल बीता है और 1 फरवरी 2021को कपिल शर्मा और गिन्नी के घर एक और नया मेहमान आ गया है। जी हां, उनके घर में करीब एक वर्ष के अंदर ही दूसरी संतान के रूप में एक पुत्र का जन्म हुआ है। अपने चुटकलों में जमाने को तमाम नसीहत देने वाले, जमाने का खूब मजाक उड़ाने वाले कपिल शर्मा जी आप तो बड़े 'वो' निकले। अब 'वो' का अर्थ आप कुछ भी लगा सकते हैं। आप उन्हें कामातुर भी कह सकते हैं।

यहां बताते चलें कि जनवरी 2021 के अंत में ठीकठाक चल रहा ‘द कपिल शर्मा शो’ अचानक बंद कर दिया गया। शो को बंद करने से पहले सोनी टीवी की तरफ से कोई घोषणा आदि भी नहीं की गई और न ही अंतिम एपीसोड में कपिल की तरफ से दर्शकों को कुछ बताया गया, जबकि शिष्टाचार का तकाजा यह है कि ऐसा किया जाना चाहिए था। अब जब प्रशंसकों ने इस बारे में लगातार कपिल शर्मा से पूछा तो उनकी तरफ से जवाब आया है कि उनके घर में दूसरी संतान का जन्म होने वाला है और उन्हें इसके लिए पत्नी के साथ घर पर समय बिताना होगा, इसलिए वे ब्रेक ले रहे हैं। कॉमेडियन भारती सिंह ने भी कहा कि शो बंद नहीं हुआ है बल्कि वे ब्रेक ले रहे हैं। शो फिर से लौटेगा और भव्य तरीके से इसकी शुरुआत होगी। हालांकि चैनल की तरफ से इस बारे में अभी तक भी कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है।

बहरहाल, अब आते हैं दूसरे मुद्दे पर और यह मुद्दा है कपिल के उतावलेपन का। कपिल ने अपने शो में दुनिया का खूब मजाक उड़ाया कि जब टीवी नहीं होते थे तो लोगों के पास समय काटने का जरिया नहीं होता था तो बच्चे ज्यादा होते थे या जल्दी-जल्दी होते थे। कपिल यह भी खूब कहते रहे हैं कि जब लाइट नहीं होती थी तो रात में पति-पत्नी बस एक ही काम करते थे और वह था बच्चे पैदा करना। लेकिन कपिल के पास तो टीवी भी है, लाइट भी है, आधुनिक जमाने की तमाम सुविधाएं भी हैं, बंदा करोड़ों में खेल रहा है और हां, बंदे को काम भी खूब मिल रहा है यानी बंदा व्यस्त भी है, फिर इतनी जल्दी क्यों भाई कि एक ही साल में दूसरा बच्चा पैदा किया जा रहा है? अरे कपिल शर्मा जी कम से कम पत्नी की सेहत का ध्यान तो रखा होता। डॉक्टर कहते हैं कि मां और बच्चे की सेहत के लिए यह जरूरी है कि दो बच्चों के बीच में कम से कम तीन साल का अंतर रखा जाए।

ठीक है, यह कपिल शर्मा जी का निजी मामला है। हम कौन होते हैं दखल देने वाले, लेकिन जैसी शर्मा जी की फितरत है और जैसी स्पीड वे दिखा रहे हैं, उससे तो ऐसा लगता है कि कहीं उन्होंने अपने शो के किरदार बच्चा यादव से प्रेरणा तो नहीं ले ली है?

बहरहाल, कपिल जी आपको और आपकी पत्नी को फिर से माता-पिता बनने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हम बच्चे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

- लव कुमार सिंह

Friday, 5 February 2021

विकास दुबे पर रखा गया 5 लाख रुपये का इनाम किसने जीता?

Who won the award of 5 lakh on Vikas Dubey?



कानपुर (उत्तर प्रदेश) के बिकरू गांव निवासी दुर्दांत अपराधी विकास दुबे पर घोषित किया गया 5 लाख रुपये का इनाम किसने जीता? यह वह प्रश्न है जिसका उत्तर जानने की जिज्ञासा सभी को है। आइये तो हम आपको बताते हैं कि 5 लाख रुपये का यह पुरस्कार किसके नाम हुआ है।

मध्य प्रदेश पुलिस ने दिसंबर 2020 में इस बारे में अंतिम फैसला किया। मध्य प्रदेश पुलिस ने 5 लाख रुपये के इस इनाम के लिए 6 लोगों के नाम फाइलन करके प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पास भेजे। ये 6 नाम उस तीन सदस्यीय पैनल की सिफारिशों के आधार पर तय किए गए जिसका गठन यह तय करने के लिए किया गया था कि यह इनाम किसे मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 5 लाख रुपये का यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे पर रखा था। विकास दुबे 9 जुलाई 2020 को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में गिरफ्तार किया गया था। उसके एक दिन बाद यानी 10 जुलाई 2020 को वह पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।

5 लाख के पुरस्कार के लिए चुने गए 6 लोगों में तीन लोग मध्य प्रदेश पुलिस के कर्मचारी हैं। एक व्यक्ति फूल बेचने वाला सुरेश कुमार भी है जिसने सबसे पहले विकास दुबे की पहचान की थी। उसने विकास दुबे को मंदिर में प्रवेश करते समय ही पहचान लिया था और मंदिर के सिक्योरिटी स्टाफ को सचेत कर दिया था। पुरस्कार पाने वालों की सूची में मंदिर के दो निजी सुरक्षा गार्ड भी हैं जिनके नाम राहुल शर्मा और धर्मेंद्र परमार हैं। इनाम पाने वाले मध्य प्रदेश के पुलिसकर्मी हैं- विजय राठौर, जितेंद्र कुमार और परशुराम। ये तीनों सिपाही हैं जो महाकाल पुलिस स्टेशन पर तैनात थे।

इस प्रकार इनाम पाने वाले 6 लोग ये हैं-

1- सुरेश कुमार (फूल भेजने वाला)
2- राहुल शर्मा (मंदिर का निजी सुरक्षा गार्ड)
3- धर्मेंद्र परमार (मंदिर का निजी सुरक्षा गार्ड)
4- विजय राठौर ( मध्य प्रदेश पुलिस का सिपाही)
5- जितेंद्र कुमार (मध्य प्रदेश पुलिस का सिपाही)
6- परशुराम ( मध्य प्रदेश पुलिस का सिपाही)

इन सभी 6 नामों की सिफारिश जिस पैनल ने की थी उसमें उज्जैन सिटी के एसपी रुपेश द्विवेदी, उज्जैन देहात के एसपी अमरेंद्र सिंह और एक एडिशनल एसपी रेंक के अधिकारी शामिल थे। यहां बताते चलें कि विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी एससी अवस्थी ने कहा था कि इनाम की राशि मध्य प्रदेश पुलिस प्रमुख के पास भेज दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि विकास दुबे और उसके साथियों ने 3 जुलाई 2020 को 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उस पर यह इनाम घोषित किया गया था।

- लव कुमार सिंह

Wednesday, 3 February 2021

आंदोलनरत किसान तो 26 जनवरी से पहले ही जीत गए थे लेकिन...

The agitating farmers had won before 26 January but .....


कुछ वरिष्ठ पत्रकार लिख रहे हैं कि राकेश टिकैत के ‘बड़े नेता’ के रूप में उभरने के बाद किसान आंदोलन ‘सफलता’ की ओर बढ़ चला है। मेरा मानना है कि जहां तक तीन कृषि कानूनों की बात है तो किसान आंदोलन 26 जनवरी के पहले ही सफल हो गया था, लेकिन स्वयं किसान नेताओं ने 26 जनवरी का कांड कराकर अपनी सफलता में पलीता लगा लिया। अब राकेश टिकैत की अक्टूबर-नवंबर तक आंदोलन चलने की घोषणा से ऐसा लगता है कि किसानों का कोई भला हो या न हो, लेकिन राकेश टिकैत की यह कोशिश होगी कि यह आंदोलन इतना लंबा चले कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों तक इसकी तपिश कायम रहे।


किसानों के आंदोलन के बाद संसद से पास जिन कानूनों पर सरकार तमाम संसोधनों को तैयार हो गई हो, इसके बाद जिन कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी हो और जिन कानूनों को स्वयं सरकार डेढ़-दो साल के लिए स्थगित कर रही हो तो यह एक तरह से इन कानूनों के खत्म होने जैसा ही है। ये तीनों ही बातें भारत के इतिहास में दुर्लभ घटनाओं जैसी हैं और सरकार के लिए काफी अपमानजनक भी, लेकिन संभवतः जो लोग किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्हें कृषि कानूनों की वापसी से ज्यादा इस बात में दिलचस्पी ज्यादा है कि इस मुद्दे के जरिये सरकार पूरी तरह घुटनों पर आ जाए या इस आंदोलन का ज्यादा से ज्यादा राजनैतिक लाभ उठा लिया जाए। यानी आप चाहते हैं कि सामने वाला आपकी बात भी माने और साथ में आपके सामने नाक भी रगड़े। आप जानते हैं कि सामने वाला (सरकार) नाक रगड़ेगा नहीं तो बैठे-बिठाए राजनीतिक फायदे लेने में हर्ज क्या है।


ठीक है कि 26 जनवरी के बाद हालात ने ऐसे मोड़ लिए कि राकेश टिकैत के लिए स्थितियां बेहद अनुकूल हो गईं। लेकिन यदि राकेश टिकैत सरकार के साथ किसी समझौते पर पहुंचते हैं तो क्या यह पंजाब के किसान नेताओं को मंजूर होगा? राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर और उसके आसपास की सिसायत में मजबूत हो गए, लेकिन क्या बाकी किसान संगठनों के नेता राकेश टिकैत की बात मानेंगे? क्या वे राकेश टिकैत को अपना नेता मानेंगे? और उन अलगाववादी तत्वों का क्या जो किसानों के भेष में इस आंदोलन में घुसे बैठे हैं? कुल मिलाकर स्थिति बड़ी जटिल है।


मुझे लगता है कि सरकार जितना झुक सकती थी, उतना झुक चुकी है। किसान नेताओं को इस बात को समझना चाहिए। यह सरकार ही नहीं, कोई भी सरकार इससे ज्यादा नरम नहीं हो सकती। यदि होगी तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि किसानों का आंदोलनरत हिस्सा सरकार की वाहवाही करेगा। उल्टे जनता का वह बड़ा वर्ग उससे नाराज हो जाएगा जो चाहता है कि 26 जनवरी की हिंसा के दोषियों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई हो।


वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ठीक लिखते हैं कि कोई सरकार चाहे कमजोर हो या मजबूत, किसी मसले पर उसके झुकने की एक सीमा होती है। कृषि कानूनों के मामले में मोदी सरकार पर्याप्त झुक चुकी है। यह बात किसान नेताओं को भी शायद पता है लेकिन स्वयं उनके और इस आंदोलन के पीछे की ताकतों के मंसूबे कुछ और हैं, इसलिए किसान नेता समझकर भी बात को नहीं समझने का नाटक कर रहे हैं। अब शायद उनके मंसूबे यही हैं कि इस मुद्दे के बहाने आंदोलन को इतना खींचा जाए कि 2022 के उत्तर प्रदेश के चुनाव पर इसका अच्छा-खासा असर पड़ जाए। कम से कम राकेश टिकैत और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल की सक्रियता देखकर तो यही लगता है। कई पत्रकार साथियों ने अभी से घोषणा कर दी है कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर के आसपास की विधानसभा सीटें किसके खाते में जाएंगी। जाहिर है कि ऐसी चर्चा राकेश टिकैत के कानों तक भी पहुंच रही होगी और इससे उनके हौसले बुलंद ही हो रहे होंगे। 


उधर, पंजाब के किसान नेताओं और आंदोलन में घुसपैठ कर चुके खालिस्तानी तत्वों के अपने हित हैं, लेकिन सबके हित (इनमें विपक्षी दल भी शामिल हैं) एक बात पर आकर कॉमन हो जाते हैं कि उनके हित तभी सफल होंगे जब वर्तमान मोदी सरकार कमजोर होगी। इसीलिए दिल्ली के बार्डरों पर चल रही रस्साकशी फिलहाल यू हीं जारी रहने की संभावना लग रही है। हां, नरेंद्र मोदी कुछ 'आउट ऑफ द बॉक्स' सोच रहे हों तो बात अलग है।

- लव कुमार सिंह