भारत बनाम इंग्लैंड, तीसरा डे-नाइट टेस्ट, नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद, 25 फरवरी 2021
वो मारा-वो मारा, अपन ने अंग्रेजों को दे मारा
पर रुको-रुको, मजा कुछ कम हो जा रा
एक सवाल दिमाग में बार-बार आ रा
तो सुनो.....
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गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?
गेंद गुलाबी होते ही, इसे जाड़ा क्यूं चढ़ जाता है?
‘जो’ भी सामने जाता है, अपनी ‘रूट’ उखाड़ दे आता है
कोई कितना विराट क्यों न हो, सूक्ष्म-सूक्ष्म हो जाता है
गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?
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और पिच प्यारी के क्या कहने, इसे नाच नचाना आता है
खिलाड़ियों की औकात नहीं, गर पिच को टूटना आता है
मोदी मैदान की पिच बोले, किसी बड़े झाम की ना जरूरत
ऐसे विकेटों की पतझड़ में, मैच टेनिस मैदान पर हो जाता है।
गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?
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लगता है डे-नाइट मैच में, समय चक्र बिगड़ जाता है
आराम का जब टाइम हो गया, तब खेलने क्या कोई जाता है?
शाम को जब फ्रेश होने की बारी, तब बैटिंग का नंबर आता है
जब बॉडी-माइंड ही फ्रेश नहीं, तो बल्ला मुरझा जाता है।
गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?
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गेंद लाल ही रहने दो, इसमें आपका क्या घट जाता है?
कह दो, एक मैच में पिच होगी सफाचट, दूसरा घास को जाता है
टेस्ट के दिन चार करो, धीमी रन गति पर दंड लगा दो
इसके बाद टेस्ट में देखो, कितना मजा फिर आता है।
गेंद गुलाबी होते ही, ये बल्ला क्यूं शर्माता है?
-लव कुमार सिंह
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