Tuesday 11 January 2022

कहानी क्या है? कहानी के प्रमुख तत्व क्या हैं?

कहानी क्या है? कहानी के प्रमुख तत्व क्या हैं?



प्रश्न- कहानी क्या है? इसके प्रमुख तत्वों (गुण या विशेषताएं) का वर्णन करिए।

उत्तर- समय-समय पर कहानी की कई परिभाषाएं दी गई हैं-

·      अमेरिका के कवि-आलोचक-कथाकार एडगर एलिन पो के अनुसार-

कहानी वह छोटी आख्यानात्मक रचना है

-        जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सके,

-        जो पाठक पर एक समन्वित प्रभाव उत्पन्न करने के लिये लिखी गई हो,

-        जिसमें उस प्रभाव को उत्पन्न करने में सहायक तत्वों के अतिरिक्‍त और कुछ न हो

-        जो अपने आप में पूर्ण हो।

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·      हिंदी कहानी को सर्वश्रेष्ठ रूप देने वाले 'प्रेमचन्द' ने कहा है कि

– ‘कहानी (गल्प) एक रचना है जिसमें जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है।

-उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथा-विन्यास, सब उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं।

-उपन्यास की भाँति उसमें मानव-जीवन का संपूर्ण तथा विशाल रूप दिखाने का प्रयास नहीं किया जाता।

-वह ऐसा सुंदर बगीचा नहीं जिसमें भाँति-भाँति के फूल सजे हुए हैं, बल्कि एक गमला है जिसमें एक ही पौधे की सुंदरता अपने उन्नत रूप में दिखाई देता है।

 

कहानी के प्रमुख तत्व

रोचकता, प्रभाव और कहानीकार व पाठक के बीच तारतम्य बनाये रखने के लिये सभी प्रकार की कहानियों में निम्नलिखित तत्व महत्वपूर्ण माने गए हैं-

1-   कथानक (प्लॉट)-

·       कहानी के ढांचे को कथानक कहा जाता है। कथानक वह तत्व है जिसके चारों ओर कथा की सभी घटनाएँ बुनी जाती हैं और विकसित होती हैं।

·       ‘नायक को नायिका से प्रेम हुआ और अंत में नायक ने नायिका का वरण कर लिया।' यह कथा है।

·       ‘नायक ने नायिका को देखावह उस पर मुग्ध हो गया। नायिका को पाने के लिए उसने अनेक बाधाओं को अपने शौर्य और लगन से पार किया। अंत में उसने नायिका से विवाह कर लिया।' यह कथानक है।

·       कथा को सुनते या पढ़ते समय पाठक के मन में आगे आनेवाली घटनाओं को जानने की जिज्ञासा रहती है। वह बार-बार यही पूछता या सोचता है कि फिर क्या हुआ। जबकि कथानक में यह प्रश्न भी उठता है कि ऐसा क्यों हुआ?' ‘यह कैसे हुआ?' आदि।

·       वैसे तो कथानक की पांच अवस्थाएं होती हैं- आरंभ, विकास, कौतुहल, चरमसीमा और अंत। लेकिन प्रत्येक कहानी में पांचों अवस्थाएं नहीं होती हैं। अधिकांश कहानियों में कथानक संघर्ष की स्थिति को पार करता है, विकास को प्राप्त कर, कौतूहल को जगाता हुआ, चरमसीमा पर पहुंचता है। और उसी के साथ कहानी का अंत हो जाता है।


2-   पात्रों का चरित्र चित्रण (कैरेक्टराइजेशन)-  

·       कहानी का संचालन उसके पात्रों द्वारा होता है। पात्रों के गुण-दोष को उनका 'चरित्र चित्रण' कहा जाता है। चरित्र चित्रण से चरित्रों में स्वाभाविकता उत्पन्न की जाती है।

·       चरित्रों का आकलन दो प्रकार से किया जाता है। एक प्रकार प्रत्यक्ष या वर्णात्मक शैली का है जिसमें लेखक स्वयं पात्र के चरित्र पर प्रकाश डालता है। दूसरा प्रकार परोक्ष या नाट्य शैली का है जिसमें पात्र स्वयं अपने वार्तालाप और क्रियाकलापों से अपने गुण-दोषों का प्रदर्शन करता है। विश्वनीयता और स्वभाविकता के लिए दूसरा तरीका ज्यादा सही रहता है।

 

3-   संघर्ष (कॉन्फ्लिक्ट)-

·       ऐसी कहानी की कल्पना करें जहां कोई समस्या नहीं न हो। पात्र बिना किसी परेशानी के खुशहाल जीवन जीते हैं। क्या वह कहानी आपको रुचिकर लगेगी? ऩहीं। कहानियों में रुचि बनाने के लिए संघर्ष बहुत महत्वपूर्ण है।

·       कहानी के सबसे महत्वपूर्ण तत्व में से एक संघर्ष है। आम तौर पर, मुख्य संघर्ष नायक और प्रतिद्वंद्वी के बीच होता है, लेकिन यह हमेशा नहीं होता। संघर्ष समाज के भीतर, एक चरित्र के भीतर, या प्रकृति के कृत्यों के साथ भी हो सकता है।

·       दो बुनियादी प्रकार के संघर्ष हैं: आंतरिक और बाहरी। आंतरिक संघर्ष चरित्र के भीतर होते हैं। बाहरी संघर्ष चरित्र के बाहर होते हैं। बाहरी संघर्ष पात्र और समाज के बीच, पात्रों और प्राकृतिक घटनाओं के बीच या दो पात्रों के बीच में हो सकते हैं।

 

4-    देशकाल या वातावरण (एंबीएंस या एनवायरमेंट)

·       कहानी में वास्तविकता का पुट देने के लिये देशकाल अथवा वातावरण का प्रयोग किया जाता है।

·       कहानी में भौतिक वातावरण के लिए विशेष स्थान नहीं होता, फिर भी इनका संक्षिप्त वर्णन पात्र के जीवन और उसकी मानसिक स्थिति को समझने में सहायक होता है। मानसिक वातावरण कहानी का परम आवश्यक तत्व है।

·       ऐतिहासिक कहानी में भौतिक वातावरण का विशेष महत्व है। भौतिक वातावरण द्वारा ही लेखक पाठक को उस युग में ले जाता है और उस युग की झांकी पेश करता है।

 

5-  संवाद या कथोपकथन (डायलॉग)-

·       संवाद कहानी का प्रमुख अंग होते हैं। इनके द्वारा पात्रों की मानसिक स्थिति और अन्य मनोभावों को प्रकट किया जाता है।

·       संवादों से आरंभ होने वाली कहानी वास्तव में प्रभावी होती है। संवादों को देशकाल, पात्र और परिस्थितियों के अनुरूप होना चाहिए। संवाद संक्षिप्त, रोचक, तर्कयुक्त और प्रवाहमय होने चाहिए। संवादों का कार्य कथा को आगे बढ़ाना, पात्रों के चरित्र पर प्रकाश डालना और विचार विशेष का प्रतिपादन करना होता है।

 

6-   भाषा शैली (स्टाइल)-

·       कहानी के प्रस्तुतीकरण के ढंग में कलात्मकता लाने के लिए उसको अलग-अलग भाषा व शैली से सजाया जाता है। प्रभावशाली कहानी के लिए थोड़े में बहुत कुछ कहने की कला में निपुण होना जरूरी है। लेखक का भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए।

·       कहानी की भाषा सरल, स्पष्ट और विषय के अनुरूप होनी चाहिए। वह कठिन नहीं होनी चाहिए। विषय के अनुरूप कहानी की शैली आत्मकथात्मक, रक्षात्मक, डायरी, नाटकीय शैली हो सकती है।

 

7-  उद्देश्य (ऑब्जेक्टिव, पर्पज)-

·       कहानी में केवल मनोरंजन ही नहीं होता, बल्कि उसका एक निश्‍चित उद्‍देश्य भी होता है।

·       प्राचीन कहानी का उद्देश्य मनोरंजन और उपदेशात्मक था, लेकिन आज कहानी के उद्देश्य हैं- विविध सामाजिक परिस्थियों या जीवन के प्रति विशेष दृष्टिकोण प्रस्तुत करना, किसी समस्या का समाधान देना या जीवन मूल्यों का उद्घाटन करना।


- लव कुमार सिंह

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