Sunday 16 January 2022

हिंदी में कारक क्या हैं?

हिंदी में कारक क्या हैं?



परिभाषा

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके संबंध का पता चलता है, वह कारक कहलाता है।

किसी वाक्य में क्रिया को पूरा करने के लिए कई संज्ञा या सर्वनाम शब्द होते हैं। इन संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध बताने वाले पद कारक होते हैं।

कारक से हमें पता चलता है कि किसी वाक्य में क्रिया को कौन कर रहा है, किस पर क्रिया का प्रभाव पड़ रहा है, क्रिया किस साधन से पूरी हो रही है या किसके हित के लिए क्रिया की जा रही है।

हिंदी में कारक

हिंदी में आठ कारक हैं। ये हैं– 

1- कर्ता 

2- कर्म

3- करण

4- संप्रदान

5- अपादान 

6- संबंध

7- अधिकरण और

8- संबोधन

कर्ता कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, वह कर्ता कारक कहलाता है। इसका विभक्ति  चिन्ह ‘ने’ है। इसे हम पहचान चिन्ह भी कह सकते हैं।

उदाहरण– राम ने रावण को मारा।

रावण को मारने का काम राम ने किया। यहां ‘राम ने’ कर्ता कारक है।

कर्म कारक

क्रिया के कार्य का फल जिस संज्ञा या सर्वनाम रूप पर पड़ता है, वह कर्म कारक कहलाता है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘को’ है।

उदाहरण– मोहन ने सांप को मारा।

यहां कार्य का फल सांप पर पड़ा है, इसलिए यहां ‘सांप को’ कर्म कारक है।

करण कारक

जिस संज्ञा या सर्वनाम रूप से कार्य के साधन का बोध हो, वह करण कारक होता है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘से/द्वारा/के साथ’ होता है।

उदाहरण– बालक गेंद से खेल रहे है।

यहां कार्य का साधन या जरिया गेंद है, इसलिए ‘गेंद से’ करण कारक है।

संप्रदान कारक

संप्रदान का अर्थ होता है– देना। 

वाक्य में कर्ता जिसके लिए कार्य करे, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। इसका विभक्ति चिन्ह ‘के लिए/को’ है। इसमें कुछ देने या उपकार करने जा भाव आता है।

उदाहरण– गुरु जी को फल दो।

यहां फल देने का काम गुरु जी के लिए हो रहा है, इसलिए ‘गुरु जी’ संप्रदान कारक है।

अपादान कारक

संज्ञा/सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए, वह अपादान कारक होता है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘से’ है।

उदाहरण– बच्चा छत से गिर पड़ा।

यहां बच्चा छत से अलग होकर नीचे आ गया है। इसलिए यहां ‘छत से’ अपादान कारक है।

संबंध कारक

संज्ञा/सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो, वहां संबंध कारक होता है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘का, की, के, रा, री, रे, ना, नी’ होता है।

उदाहरण– वह राधेश्याम का बेटा है।

यहां ‘राधेश्याम का’ संबंध कारक है।

अधिकरण कारक

संज्ञा/सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, वहां अधिकरण कारक होता है। इससे यह पता चलता है कि क्रिया (भीतर, अंदर, ऊपर, नीचे, यहां, वहां, पर आदि) कहां हो रही है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘में/पर’ है।

उदाहरण– भंवरा फूलों पर मंडरा रहा है।

यहां ‘फूलों पर’ अधिकरण कारक है।

संबोधन कारक

जहां किसी के बुलाने या सचेत करने का भाव प्रकट हो, वहां संबोधन कारक होता है। इसमें संबोधन चिन्ह लगता है और विभक्ति चिन्ह ‘अरे, हे, ओ’ आदि होते हैं।

उदाहरण– 

अरे भैया! क्यों रो रहे हो? 

हे गोपाल! यहां आओ।

यहां ‘अरे भैया!’ और ‘हे गोपाल!’ संबोधन कारक हैं।


कारक और उनके विभिक्त चिन्ह एक नजर में

कारक

विभक्ति चिन्ह

विवरण

1-      कर्ता

ने

क्रिया को करने वाला

2-      कर्म

को

जिस पर क्रिया का प्रभाव/फल पड़े

3-      करण

से/द्वारा/के साथ

वह साधन जिससे क्रिया की जाए

4-      संप्रदान

के लिए/को/के निमित्त

जिसके हित में क्रिया की जाए

5-      अपादान

से

जिससे अलग होने/तुलना/दूरी का भाव पता चले

6-      संबंध

का/की/के/रा/री/रे/ना/नी

क्रिया से भिन्न किसी अन्य पद से संबंध बताने वाला

7-      अधिकरण

में/पर

क्रिया के संचालन का आधार बताए

8-      संबोधन

अरे/रे/ओ/हे/अरी/री

जब किसी को पुकारा जाए



– लव कुमार सिंह

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