Why does the new voter not come to the Congress?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने एक रोचक आंकड़ा पेश किया है, जिस पर कांग्रेस को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कुल मिलाकर करीब 18.5 करोड़ नए मतदाता चुनाव प्रक्रिया में शामिल हो गए, लेकिन कांग्रेस इसका जरा भी फायदा नहीं उठा सकी। कांग्रेस के वोट 2019 में 11.94 करोड़ रहे। ये लगभग 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को प्राप्त मतों जितने ही हैं। 2009 में कांग्रेस को 11.92 करोड़ वोट मिले थे।
हिंदी दैनिक ‘दैनिक जागरण’ को दिए एक साक्षात्कार में सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 वरिष्ठ कांग्रेसियों में शामिल आनंद शर्मा ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त देश में साढ़े दस करोड़ नए मतदाता चुनावी प्रक्रिया में भागीदार बने थे। 2019 के चुनाव में नए जुड़े मतदाताओं की संख्या आठ करोड़ थी। यानी दोनों चुनावों में कुल मिलाकर साढ़े अठारह करोड़ नए मतदाता बने, लेकिन कांग्रेस इसका कोई फायदा नहीं उठा सकी। यह तथ्य कांग्रेस की कमजोरी को उजागर करता है।
2014 की कहानी
आनंद शर्मा ने कहा कि 2014 में कांग्रेस को 10.69 करोड़ मत मिले थे। यानी उस चुनाव में साढ़े दस करोड़ नए वोटर बढ़ने के बावजूद कांग्रेस के वोट पिछले चुनावों (2009 में 11.92 करोड़) के मुकाबले 1.23 करोड़ कम हो गए।
2019 की कहानी
2019 में कांग्रेस को 11.94 करोड़ मत मिले थे। यानी 2019 में जहां नए मतदाता आठ करोड़ बने, लेकिन कांग्रेस अपने मतों में 2014 के मुकाबले केवल 1.25 करोड़ और 2009 के मुकाबले केवल दो हजार मतों की ही बढ़ोतरी कर सकी।
नए वोटर पूरी तरह भाजपा के साथ
इसके विपरीत भाजपा ने नए बने मतदाताओं का समर्थन दोनों हाथों से बटोरा। 2014 के चुनाव में भाजपा को 17.60 करोड़ वोट मिले। 2009 के चुनावों में भाजपा के वोट 7.84 करोड़ थे। इसका अर्थ है कि भाजपा ने अपने मतों में दोगुने से भी ज्यादा की वृद्धि कर ली। 2019 में भाजपा को 22.94 करोड़ वोट मिले। यानी इस बार भी भाजपा ने नए बने मतदाताओं में गहरी पैठ बनाई और अपने वोट में जबरदस्त इजाफा किया।
आनंद शर्मा को इस बात का अफसोस है कि उनके अनुसार अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने नोटबंदी, जीएसटी समेत तमाम बड़ी गलतियां कीं, देश में रोजगार की हालत बहुत खराब रही, इसके बावजूद कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा सकी। वह नए मतदाताओं के बीच जरा भी पैठ नहीं बना सकी और उसे व भाजपा को मिले मतों का फासला बढ़ता ही चला गया। यह कांग्रेस के बेहद कमजोर होने का संकेत है।
- लव कुमार सिंह
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