Thursday 3 September 2020

जब सब कुछ बंद था तो जीडीपी और कहां जानी थी?

Where else was GDP to go when everything was closed?



जब 'सब कुछ' ही बंद था

तो सुंदरी 'जीडीपी' और कहां जानी है?

जब प्रेमी 'खर्चा' जमीन में मुंह गड़ाए पड़ा था

तो रसातल के सिवाय उसकी कहां जिंदगानी है?

 

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हमें तो इन प्रेमियों की हालत पता है, पता थी

सो दुखी तो हैं पर बल विहीन पेशानी है

क्या आप अनजान थे, अज्ञान थे? नहीं?

तो फिर आपके चेहरे पर क्यों हैरानी है?


(पेशानी- मस्तक, माथा)

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छोड़िए चिंता-विंता के नाटक को

आपके लिए तो यह खुशी की निशानी है

कोरोना से बहुत उम्मीदें हैं कुछ लोगों को

यह बीमारी थोड़े है, उनके 'युद्ध' की सेनानी है।

 

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छोड़िए और आपसे क्या शिकायत करें

आपको नहीं सुननी, बस अपनी सुनानी है

तभी तो 'रामगढ़' पर हमला 'गब्बर' ने किया 

और गुर्गे कहें 'ठाकुर' की कारस्तानी है।

 

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ना-ना 'ठाकुर' को क्लीनचिट नहीं है

आंख बंद कर, अकेले घुसेंगे तो भुजा तो कट जानी है

पर फिलहाल हमारी कोशिश 'जय-वीरू' बनने की है

बाकी बाद में देखेंगे कि ये 'ऊंगली' किस बटन पर दबानी है।

 

- लव कुमार सिंह


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