अनुवाद से आप क्या समझते हैं? पत्रकारिता में इसकी उपयोगिता बताइये
(यह प्रश्न चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की बीजेएमसी प्रथम सेमेस्टर की 2019 की मुख्य परीक्षा में पूछा गया)
अनुवाद क्या है?
किसी भाषा में कही
या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है।
'वाद'
शब्द में 'अनु' उपसर्ग जोड़कर
'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका
प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अंग्रेजी शब्द ट्रांसलेशन के पर्याय के रूप
में किया।
अनुवाद के प्रकार
अनुवाद कई प्रकार का होता है।
अनुवाद के प्रकारों का विभाजन दो तरह से किया जा सकता है।
पहला अनुवाद की विषयवस्तु के आधार पर
दूसरा उसकी प्रक्रिया के आधार पर
विषय वस्तु के आधार पर अनुवाद के
प्रकार
विषयवस्तु के आधार पर अनुवाद
निम्नलिखित प्रकार का होता है-
· साहित्यानुवाद- साहित्यिक कृति का अनुवाद साहित्यानुवाद
कहलाता है। साहित्यिक कृति का अनुवाद करते समय उस कृति के परिवेश और युगीन परिस्थितियों
का जस का तस उल्लेख करना होता है।
· कार्यालयी अनुवाद- कार्यालयी अनुवाद का अर्थ प्रशासनिक पत्राचार
तथा कामकाज के अनुवाद से है। भारत में राजभाषा के मसले पर द्विभाषिक नीति लागू है।
इसलिये अनुवाद की उपयोगिता और महत्व बहुत ज्यादा है। कार्यालयी अनुवाद में प्रशासनिक
शब्दावली का प्रयोग होता है। एक पत्रकार के लिए सरकार के कामकाज पर आधारित समाचार
बनाते समय इस शब्दावली की सामान्य जानकारी का होना अनिवार्य है।
·
विधिक अनुवाद- समाचारपत्रों
में अदालतों और उनसे जुड़ी प्रक्रिया से संबंधित अनेक समाचार होते हैं। उच्च तथा सर्वोच्च
न्यायालय का सारा कामकाज अंग्रेजी में ही होता है। ऐसे में एक पत्रकार के लिए
जरूरी हो जाता है कि हिंदी में समाचार बनाते हुए वह विधिक शब्दावली का तकनीकी रूप
से सही अनुवाद करने की क्षमता रखता हो।
·
आशु अनुवाद- अंग्रेजी में
सामान्य रूप से इसे इंटरप्रिटेशन कहते हैं। जब कोई ऐसा राजनेता देश में आता है
जिसे अंग्रेज़ी भी न आती होती हो तो हमारे देश के राजनेताओं के साथ उसकी वार्ता
इंटरप्रेटर की सहायता से ही संभव हो पाती है। इंटरप्रेटर विदेशी नेता की भाषा का
एक तुरंत और सरल अनुवाद मौखिक रूप से हमारे राजनेता के सामने प्रस्तुत करता है।
ऐसा ही वह हमारे नेता के बोलने पर करता है। पत्रकारिता में आशु अनुवाद के कुछ और
भी आयाम हैं। जैसे फोन पर किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से हो रही वार्ता को तुरंत अपने
हिंदी में अनुवाद करके लिखते जाना।
·
वैज्ञानिक एवं
तकनीकी अनुवाद- समाचारपत्रों में विज्ञान और तकनीक से संबंधित गतिविधियों
के कई समाचार होते हैं और उनके लिए जरूरी होता है कि पत्रकार को वैज्ञानिक एवं तकनीकी
शब्दावली की पर्याप्त जानकारी हो। इसके अभाव में अनुवाद हास्यास्पद और विचित्र हो
सकता है।
·
वाणिज्यिक
अनुवाद- आम आदमी के जीवन में बाजार का स्थान अब निश्चित है और
समाचारपत्रों में आर्थिक समाचारों की भरमार होती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों और
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के समाचारों का निर्माण अकसर संबंधित विषयवस्तु के अनुवाद
द्वारा ही संभव हो पाता है। इस तरह के अनुवाद की अपनी शब्दावली होती है, जिसकी प्राथमिक जानकारी पत्रकार को होना
जरूरी है। बैंकिंग क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण मसौदे अंग्रेज़ी में ही तैयार किए
जाते हैं, लेकिन जनता तक उन्हें पहुंचाने के लिए उनका सरल हिंदी अनुवाद अनिवार्य
होता है। इसलिए हर बैंक में हिंदी अधिकारी तैनात किए गए हैं।
प्रक्रिया के आधार पर अनुवाद के
प्रकार
प्रक्रिया के आधार पर अनुवाद
निम्नलिखित प्रकार का होता है-
·
शब्दानुवाद- इस तरह के अनुवाद
में प्रयास होता है कि मूल भाषा के प्रत्येक शब्द और अभिव्यक्ति की इकाई का अनुवाद
करते हुए मूल भाव को संप्रेषित किया जाए। यानी अनुवाद न तो मूल पाठ की किसी इकाई
को छोड़ सकता है और न अपनी ओर से कुछ जोड़ सकता है। अनुवाद का यह प्रकार गणित, ज्योतिष विज्ञान और विधि साहित्य के अधिक
अनुकूल होता है।
·
भावानुवाद- इस प्रकार के अनुवाद में भाव, अर्थ और विचार पर अधिक ध्यान दिया जाता है। ऐसे अनुवाद से सहज प्रवाह बना
रहता है। पत्रकार अक्सर इसका सहारा लेते हैं।
·
सारानुवाद- यह
आवश्यकतानुसार संक्षिप्त या अति संक्षिप्त होता है। भाषणों, विचार गोष्ठियों और संसद के वाद-विवाद की
विशद विषयवस्तु के सार का अनूदित प्रस्तुतीकरण इसी श्रेणी में आता है। विस्तृत मामलों
में अकसर पत्रकार पूरी विषयवस्तु का अनूदित सार तैयार कर उसे ही समाचार रूप में
प्रस्तुत करता है।
·
यांत्रिक
अनुवाद- आज ऐसे साफ्टवेयर उपलब्ध हैं जो दो या अधिक भाषाओं बीच
अनुवाद करने की क्षमता रखते हैं। गूगल ने ऑनलाइन अनुवाद की सुविधा भी दी है। हालांकि
इस तरह का अनुवाद बिल्कुल सटीक नहीं होता और उसमें काफी सुधार करना होता है।
अनुवादक के गुण
अनुवाद कार्य में अनुवादक की भूमिका
अहम होती हैं। अनुवाद की पूरी प्रक्रिया में उसे अलग-अलग भूमिकाएं निभानी पड़ती
हैं।
· मूलपाठ का विश्लेषण करते हुए वह पाठक की भूमिका में होता
है।
· अंतरण करते हुए द्विभाषिक विद्वान की भूमिका में होता है और
· पुनर्रचना करते हुए लेखक की भूमिका में आ जाता है।
अनुवाद के लिए
अनुवादक में निम्नलिखित गुण होने जरूरी हैं-
·
भाषा प्रभुत्व- अनुवादक को स्त्रोत भाषा (जिससे
अनुवाद होना है) एवं लक्ष्य भाषा (जिसमें अनुवाद होना है) की प्रकृति, व्याकरवण और
अनुप्रयोगिता का ज्ञान होना चाहिये। उसे स्त्रोत
भाषा के मुहावरों, लोकोक्तियों आदि की गहन समझ होनी चाहिये।
·
जानकारी और विवेकशीलता- एक जानकारियों से भरा
और विवेकशील व्यक्ति ही सफल अनुवाद कर सकता है। अनुवादक को स्रोत सामग्री (जिसका
अनुवाद होना है) का पूरा-पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। मूल भाषा के संदर्भ, प्रसंग,
प्रयोजन आदि की जानकारी होना जरूरी है। साथ ही उसका विवेक भी इसमें सहायक होता है।
·
सतर्कता- सफल अनुवादक आरंभ से अंत तक सतर्क
रहता है। मूल लेखन में लेखक जितना सतर्क रहता है, उताना ही अनुवादक को भी सतर्क
रहना पड़ता है।
·
संदेह निवारणकर्ता- अनुवादक के सामने बहुत सारी
समस्याएं आती हैं। उसमें इन समस्याओं के निवारण की क्षमता होनी चाहिये।
·
प्रतिभा- अनुवादक में किसी सीधी-सरल या कठिन
बात को समझ लेने और उस बात को कुशलता से अभिव्यक्त करने की प्रतिभा होनी चाहिये।
·
समाज और संस्कृति का ज्ञान- अनुवादक को दो
भाषाओं की जानकारी होने के अलावा दोनों भाषाओं के सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों से
संबंधित जानकारी का होना भी आवश्यक है। समाज की संस्कृति, विरासत, खानपान,
आचार-व्यवहार, त्यौहार-मेले, पूजा पाठ, रुढ़ियां, वेशभूषा, रिश्ते-नाते आदि विषयों
का परिचय होना जरूरी है।
·
ज्ञान-विज्ञान और मनोविज्ञान का परिचय- अनुवादक
का समसामयिक जानकारियों, आधुनिक खोजों, परिवर्तनों आदि से भी परिचय होना जरूरी
होता है।
·
इसके अतिरिक्त अनुवाद की विषय के प्रति श्रद्धा
और निष्ठा होनी चाहिए। उसमें धैर्य और परिश्रम का गुण भी होना चाहिए। उसमें सृजन
क्षमता का होना भी जरूरी है। उसमें तटस्थता और निष्पक्षता जैसे गुण भी होने
चाहिये। वह वस्तुनिष्ठ भी होना चाहिये।
पत्रकारिता में अनुवाद की उपयोगिता
·
मीडिया सीमा
विहीन है। इसलिए मीडिया को भौगोलिक सीमा को भूलकर अपने पाठकों की भाषा में
समाचारों को प्रस्तुत करना होता है। विश्व और भारत में भाषाई विविधता के कारण यह
प्रस्तुतीकरण मात्र अनुवाद से संभव है।
·
सामान्यसतः
देश-विदेश के समाचार वहां की समाचार एजेंसियों द्वारा उस देश की अपनी मूल भाषा में
विश्व के अन्य देशों के समाचार पत्रों
में प्रकाशनार्थ भेजे जाते हैं। विदेशी भाषा में प्राप्त इन समाचारों को अनूदित
करके प्रत्येेक देश के समाचार पत्र इसे अपनी भाषा या भाषाओं में प्रकाशित करते
हैं। इसलिए पत्रकारिता और अनुवाद का अंतरसंबंध बहुत घनिष्ठ और नजदीकी है।
·
विश्व पटल और
भारत में भाषाई विविधता होने के नाते पत्रकारिता में समाचार की सत्यता के लिए
अनुवाद का सहारा लेना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। खासकर हिंदी पत्रकारिता के
संदर्भ में सभी हिंदी में
प्रकाशित होनेवाले अखबारों को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की जानकारी और समाचार
के लिए अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद की सहायता लेनी ही होती है।
·
भारतीय भाषाओं
में किए गए शोधों की गुणवत्ता अन्य विदेशी भाषाओं में किए गए शोधों की गुणवत्ताा
से तुलनात्मक रुप से निम्न स्तर की है। भारत के शोधार्थियों में अपने विषय के
तह तक जाने की प्रवृत्ती नहीं दिखाई देती। इसलिए समाचार पत्रों के लेखों और
संपादकीय लेखों के लिए संपादक को ही नहीं, किसी भी विषय के अध्ययनरत कर्ताओं को अधिकतर अंग्रेजी और अन्य भाषाओं की अध्ययन सामग्री पर निर्भर होना पड़ता है। भारतीय भाषाओं में प्रमाणिक संदर्भ
पुस्तकें कम होने के कारण अन्य भाषाओं के संदर्भ पुस्तकों का अनुवाद करना
आवश्यरकता बन जाती है। अनुवाद के कारण ही भारतीय पत्रकारिता में विचारों का परस्पर आदान प्रदान संभव हुआ है। इसी माध्यम से अलग-अलग संस्कृततियों की जानकारी
एवं राज्यों में आपसी तालमेल स्थापित होता। ऐसे कई संदर्भो में अनुवाद
का महत्व बढ़ जाता है।
·
पत्रकारिता में
अनुवाद के कारण ज्ञान का विस्ताार होता है। लोगों को नई-नई सूचनाओं से अवगत करना, अनुवाद के कारण संभव हुआ है। इसलिए हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं
में पत्रकारिता का बड़ा हिस्सा अनुवाद पर
आधारित रहा है।
·
यह बात सच है
कि वर्तमान समय में हिंदी में मौलिक सोच और लेखन करने वाले पत्रकार, सम्पादकों की संख्या बढ़ी है किन्तु अंतरष्ट्रीय समाचारों, पुस्ताक समीक्षा, तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे
विषय के लिए आज भी अनुवाद ही सहायक बना हुआ है क्योंकि ज्यादातर विज्ञान का
साहित्य अंग्रेजी भाषा में लिखा जाता है।
·
पत्रकारिता के
क्षेत्र में आज यह आवश्यक है कि, भारतीय भाषायी
पत्रकारों की अंग्रेजी पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। उन्हें अंग्रेजी से अपनी
भाषाओं में खबर या लेख का अनुवाद करना आना चाहिए। इससे यह सिद्ध होता है कि,
पत्रकार को अनुवाद के ज्ञान की अनिवार्यता है। तभी वह भाषायी
विविधता वाले देश में अपने पाठकों को न्या्य दे सकता है।
·
किसी एक भाषा
के ज्ञान की अपनी मर्यादाएं होती है। सोच का एक दायरा होता है। पत्रकारों को इस
दायरे से बाहर निकालकर सोचना आवश्यक है। किसी व्यक्ति विशेष के विचारों को अपनी
भाषा के समाचार पत्र के माध्यम से प्रेषित करने के लिए अंग्रेजी भाषा पढ़ना तथा
उससे अनुवाद करना पत्रकार के लिए आवश्यक है। तभी वह अपने पाठकों कुछ नया विचार, दर्शन दे सकता है।
·
वर्तमान समय
में इलेक्ट्रानिक मीडिया का काफी बोलबाला है। कुछ चैनल चौबीसों घंटे समाचार तथा
उसका विश्लेषण देते हैं। इन न्यूज चैनलों के विस्फोट से अनुवाद की भूमिका में
एक नया आयाम जुड़ा है। इलेक्ट्रानिक मीडिया का भी काम अनुवाद के बगैर नहीं चलता। बल्कि उसे तो ज्यादा प्रसारण के कारण ज्यादा अनुवाद की जरूरत होती है।
·
जनसंचार का
क्षेत्र विस्तार बहुत बड़ा है। इसमें सिनेमा, वृत्तचित्र, टेलीविजन धारावाहिक और विभिन्न मनोरंजन कार्यक्रम आते हैं। इन सभी में अनुवाद की अपनी विशिष्ट भूमिका होती है।
भाषाई विविधता के कारण मनोरंजनात्मक, शौक्षिक और अन्य कार्यक्रमों को भारत के संदर्भ में भारतीय भाषाओं तथा अन्य देशों तथा
राज्यों के संदर्भ में वहां की मातृभाषा
में प्रेषित किया जाता है। मनोरंजनात्मक कार्यक्रम प्रसारण के कारण मीडिया एक उद्योग बन चुका है। उदाहारण के लिए विश्व का प्रसिद्ध डिस्कनवरी चैनल आज भी अपने
सभी कार्यक्रमों को भारत में हिदी भाषा में प्रसारित करता है। इसी तरह कई अंग्रेजी
फिल्मों को हिंदी सब टाइटल तथा
प्रादेशिक फिल्मों को अंग्रेजी सबटाइटिल के साथ प्रदर्शित किया जाता है। ये सभी कार्य अनुवाद के जरिये ही किए जाते हैं।
एक्स्ट्रा सामग्री
वैश्विक स्तर पर अनुवाद की उपयोगिता
आधुनिक युग में अनुवाद के महत्व और उपोयिगता को विश्वभर में स्वीकारा जा चुका है।
आज विश्वभर में अनुवाद की आवश्यकता जीवन के हर क्षेत्र में किसी-न-किसी रूप में अवश्य महसूस की जा रही है। अनुवाद एक प्रकार से आज के जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन गया है। अनुवाद की उपयोगिता और महत्व को हम निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं।
· आज विश्व के अधिकांश बड़े देशों में एक प्रमुख भाषा के साथ-साथ अन्य कई भाषाएं भी गौण भाषा के रूप में समानांतर चल रही हैं। ऐसे में अनुवाद की उपयोगिता अपने आप बढ़ गई है।
· अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के बीच राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढ़ती हुई आदान-प्रदान की अनिवार्यता ने अनुवाद के महत्त्व को बढ़ा दिया है।
· भारत जैसे बहुभाषी देश में अनुवाद की उपयोगिता स्वयं सिद्ध है। भारत के विभिन्न प्रदेशों के साहित्य में निहित मूलभूत एकता के स्वरूप को निखारने के लिए अनुवाद ही एक मात्र अचूक साधन है।
· आज के वैज्ञानिक युग में अनुवाद बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया है। यदि हमें दूसरे देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है तो हमें उनके यहाँ विज्ञान के क्षेत्र में, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में हुई प्रगति की जानकारी होनी चाहिए और यह जानकारी हमें अनुवाद के माध्यम से मिलती है।
· यह बात अनुवाद से पता चली कि मध्ययुगीन भक्ति आन्दोलन से लेकर आज के प्रगतिशील आन्दोलन तक भारतीय साहित्य की दिशा एक रही है। यह हमें अनुवाद से ही पता चला कि जिस समय गोस्वामी तुलसीदास राम के चरित्र पर महाकाव्य लिख रहे थे, हिन्दी के समानान्तर ओड़िआ में बलराम, बांग्ला में कृत्तिवास, तेलुगु में पोतना, तमिल में कम्बन तथा हरियाणवी में अहमदबख्श अपने-अपने साहित्य में राम के चरित्र को नया रूप दे रहे थे।
· दुनिया के जिन देशों में विभिन्न जातियों एवं संस्कृतियों का मिलन हुआ है वहाँ सामासिक संस्कृति के निर्माण में अनुवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। अनुवाद की परम्परा के अध्ययन से पता चलता है कि ईसा के तीन सौ वर्ष पूर्व रोमन लोगों का ग्रीक के लोगों से सम्पर्क हुआ जिसके फलस्वरूप ग्रीक से लैटिन में अनुवाद हुए। इसी प्रकार ग्यारहवीं, बारहवीं शताब्दी में स्पेन के लोग इस्लाम के सम्पर्क में आए और बड़े पैमाने पर योरपीय भाषाओं में अरबी का अनुवाद हुआ। भारत में भी विभिन्न जातियों एवं विश्वासों के लोग आए।
· साहित्य के अध्ययन में अनुवाद का महत्व आज व्यापक हो गया है। साहित्य यदि जीवन और समाज के यथार्थ को प्रस्तुत करता है तो विभिन्न भाषाओं के साहित्य के सामूहिक अध्ययन से किसी भी समाज, देश या विश्व की चिन्तन-धारा एवं संस्कृति की जानकारी मिलती है। अनुवाद के जरिये शेक्सपियर, डी.एच. लॉरेंस, मोपासाँ तथा सार्त्र जैसे चिन्तकों की रचनाओं से भारतीय जनमानस का साक्षात्कार हुआ। उधर, कालिदास, रवीन्द्रनाथ टैगोर एवं प्रेमचन्द की रचनाओं से विश्व प्रभावित हुआ।
· वर्तमान युग में अनुवाद ज्ञान की ऐसी शाखा के रूप में विकसित हुआ है जहाँ इज्जत, शोहरत एवं पैसा तीनों हैं। आज अनुवादक दूसरे दर्जे का साहित्यकार नहीं बल्कि उसकी अपनी मौलिक पहचान है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हुए विकास के साथ भारतीय परिदृश्य में कृषि, उद्योग, चिकित्सा, अभियान्त्रिकी और व्यापार के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ है। इन क्षेत्रों में प्रयुक्त तकनीकी शब्दावली का भारतीयकरण कर इन्हें लोकोन्मुख करने में अनुवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
· बीसवीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध रोजगार के क्षेत्र में अनुवाद को महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन करता है। संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने के पश्चात् केन्द्र सरकार के कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, संस्थानों और प्रतिष्ठानों में राजभाषा प्रभाग की स्थापना हुई जहाँ अनुवाद कार्य में प्रशिक्षित हिन्दी अनुवादक एवं हिन्दी अधिकारी कार्य करते हैं। आज रोजगार के क्षेत्र में अनुवाद सबसे आगे है। प्रति सप्ताह अनुवाद से सम्बन्धित जितने पद यहाँ विज्ञापित होते हैं अन्य किसी भी क्षेत्र में नहीं।
· औद्योगीकरण एवं जनसंचार के माध्यमों में हुए अत्याधुनिक विकास ने विश्व की दिशा ही बदल दी है। औद्योगिक उत्पादन, वितरण तथा आर्थिक नियन्त्रण की विभिन्न प्रणालियों पर पूरे विश्व में अनुसंधान हो रहा है। नई खोज और नई तकनीक का विकास कर पूरे विश्व में औद्योगिक क्रान्ति मची हुई है। इस क्षेत्र में होने वाले अद्यतन विकास को विभिन्न भाषा-भाषी राष्ट्रों तक पहुँचाने में भाषा एवं अनुवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
· संचार माध्यमों में गतिशीलता बढ़ाने का कार्य अनुवाद द्वारा ही सम्भव हो सका है तथा गाँव से लेकर महानगरों तक जो भी अद्यतन सूचनाएँ हैं वे अनुवाद के माध्यम से एक साथ सबों तक पहुँच रही हैं। कहने की आवश्यकता नहीं कि अनुवाद ने आज पूरे विश्व को एक सूत्र में पिरो दिया है।
- लव कुमार सिंह