Saturday, 22 August 2020

मीठा-मीठा गप गप, कड़वा-कड़वा थू

Mitha-Mitha Gup Gup, Kadwa-Kadwa Thoo



मोहे वे जज साहब बहुत ही भाए

जब वे चारों प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को आए

बहुत ही प्यारे, क्रांतिकारी नजर आए

लोकतंत्र के रक्षक वे कहलाए।


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पर अब मोहे वे फूटी आंख न सुहाए

वे तो दूसरे पाले में चले गए हाए

उनका फैसले हमें पसंद न आए

लोकतंत्र की नींव ही दिए ढहाए।


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'जमात' पर फैसले से दिल बाग-बाग हुआ जाए

पर 'शहरी नक्सल' में पक्की गड़बड़ नजर आए

हमरी दलीलों के सामने कोई तर्क न चल पाए

हम लोकतंत्र के रक्षक यूं ही नहीं कहलाए।


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जो हमरी पसंद का फैसला दे जाए 

वो ही सबसे अच्छा जज कहलाए 

जो हमरी बात न मानी जाए

तो खतरे में लोकतंत्र हो जाए।


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मीठा-मीठा गप गप हो जाए

कड़वा-कड़वा थूका ही जाए

बड़े सयानों ने कहावत दी बनाए

सो हम वही रवायत रहे निभाए।


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फैसला हमरे पक्ष में न आए

तो लाखों की फीस कौन दे जाए

हमरे बच्चों का ख्याल किया जाए

हमरी दुकान न बंद हो जाए।

 

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एक और नमूना


राणा अयूब ने गुजरात फाइल्सलिखी- 

वाह-वाह बहुत अच्छे


तीस्ता शीतलवाड़ ने द मेकिंग ऑफ ए ट्रेजडीलिखी- 

वाह-वाह बहुत अच्छे


जिया उर असलम ने शाहीन बागलिखी- 

वाह-वाह बहुत अच्छे


मोनिका अरोड़ा ने दिल्ली राइट्स 2020’ लिखी- 

कैसे लिख दी? थू-थू-थू


- लव कुमार सिंह


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