Mitha-Mitha Gup Gup, Kadwa-Kadwa Thoo
मोहे वे जज
साहब बहुत ही भाए
जब वे चारों
प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को आए
बहुत ही
प्यारे, क्रांतिकारी
नजर आए
लोकतंत्र के
रक्षक वे कहलाए।
.............
पर अब मोहे वे फूटी आंख न सुहाए
वे तो दूसरे
पाले में चले गए हाए
उनका फैसले
हमें पसंद न आए
लोकतंत्र की
नींव ही दिए ढहाए।
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'जमात' पर फैसले से दिल बाग-बाग हुआ जाए
पर 'शहरी नक्सल' में पक्की गड़बड़ नजर आए
हमरी दलीलों के सामने कोई तर्क न चल पाए
हम लोकतंत्र के रक्षक यूं ही नहीं कहलाए।
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जो हमरी पसंद
का फैसला दे जाए
वो ही सबसे
अच्छा जज कहलाए
जो हमरी बात
न मानी जाए
तो खतरे में
लोकतंत्र हो जाए।
........
मीठा-मीठा गप
गप हो जाए
कड़वा-कड़वा
थूका ही जाए
बड़े सयानों
ने कहावत दी बनाए
सो हम वही
रवायत रहे निभाए।
........
फैसला हमरे
पक्ष में न आए
तो लाखों की
फीस कौन दे जाए
हमरे बच्चों
का ख्याल किया जाए
हमरी दुकान न
बंद हो जाए।
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एक और नमूना
राणा अयूब ने
‘गुजरात
फाइल्स’ लिखी-
वाह-वाह बहुत अच्छे
तीस्ता
शीतलवाड़ ने ‘द
मेकिंग ऑफ ए ट्रेजडी’ लिखी-
वाह-वाह बहुत अच्छे
जिया उर असलम
ने ‘शाहीन
बाग’ लिखी-
वाह-वाह बहुत अच्छे
मोनिका
अरोड़ा ने ‘दिल्ली
राइट्स 2020’ लिखी-
कैसे लिख दी? थू-थू-थू
- लव कुमार सिंह
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