Monday 26 October 2020

आईपीएल : करीब 100 खिलाड़ी बाहर बैठे हैं, जिनमें से कई अपने देश के स्टार क्रिकेटर हैं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मध्य पड़ाव पर 13 अक्टूबर को ऐसे करीब 100 खिलाड़ियों की सूची जारी हुई है जिनमें से अधिकांश यूएई में खेले जा रहे आईपीएल के दौरान एक भी मैच नहीं खेल पाए हैं। ये सूची इसलिए जारी हुई है कि यदि कोई टीम इनमें से किसी खिलाड़ी को खरीदना चाहे तो वह मिड सीजन ट्रांसफर विंडो के जरिये उसे खरीद सकती है।

खास बात यह है कि इनमें ऐसे दिग्गज खिलाड़ी भी शामिल हैं जो अपनी राष्ट्रीय टीम का अनिवार्य रूप से हिस्सा होते हैं, लेकिन आईपीएल में उनकी कोई पूछ ही नहीं है और वे बाहर बैठे मक्खियां मारने पर मजबूर हैं। इन्हीं में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो पहले अपनी आईपीएल टीम के लिए शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन अब उन्हें टीम में स्थान नहीं मिल रहा है।

इसका एक कारण तो यह है कि हर टीम में काफी अतिरिक्त खिलाड़ी खरीदे जाते हैं तो ऐसे में जाहिर है कि यदि किसी टीम में 20 खिलाड़ी होंगे तो खेलने का मौका तो 11 को ही मिलेगा।

दूसरा कारण यह हो सकता है कि खिलाड़ी का प्रदर्शन ही अच्छा न हो। जैसे कि रॉयल चैलेंजर बंगलुरू में डेल स्टेन और उमेश यादव शुरुआत में खेले लेकिन उनका प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा जिससे उन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा। उनकी जगह टीम में आए क्रिस मोरिस और उड़ाना जिस प्रकार की गेंदबाजी कर रहे हैं, उससे नहीं लगता कि अब डेल स्टेन या उमेश यादव को टीम में जगह मिलेगी।

तीसरा कारण किसी खिलाड़ी का टीम की योजना में फिट नहीं होना बताया जाता है, जो कि सबसे लचर कारण नजर आता है। चेन्नई सुपर किंग्स अपने स्टार स्पिनर इमरान ताहिर को इसीलिए नहीं खिला रही है कि वे उसकी योजना में फिट नहीं बैठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि आईपीएल भारत में होता तो इमरान ताहिर जरूर सीएसके की टीम में होते। यूएई में ऐसी क्या बात है? कहा जा रहा है कि वहां पर तेज गेंदबाज सफल हो रहे हैं। लेकिन यह तथ्य सही नहीं है।

आरसीबी में यजुवेंद्र चहल और सनराइजर्स हैदराबाद में राशिद खान मैच विजेता गेंदबाज बने हुए हैं। आरसीबी में वाशिंगटन सुंदर ने अपनी स्पिन गेंदबाजी से टीम में जगह पक्की कर ली है। दिल्ली कैपिटल में चोटिल होने से पहले मिश्रा टीम का हिस्सा थे। अश्विन वहां हैं ही और साथ में अक्षर पटेल जैसे साधारण स्पिन गेंदबाज भी सफल हो रहे हैं। मुंबई इंडियन में राहुल चाहर ने अपनी स्पिन गेंदबाजी के कारण ही टीम में जगह पक्की कर रखी है, वरना वहां एक से बढ़कर एक खिलाड़ी भरे हुए हैं।

सीएसके में यदि पीयूष चावला को कई खिलाकर बाहर किया जा सकता है और फिर से अंतिम 11 में लिया जा सकता है तो ऐसे में इमरान ताहिर को क्यों नहीं खिलाया जा सकता है? ऐसी योजना समझ से परे हैं कि आपकी टीम का प्रदर्शन भी कमजोर हो लेकिन आपकी योजना में कोई कमी नहीं हो।

अगर बाहर बैठे 100 खिलाड़ियों की सूची को देखें तो मुंबई इंडियन में क्रिस लिन जैसे हिटर का खेलना बनता है। चेन्नई सुपर किंग्स में इमरान ताहिर और सेंटनर का खेलना बनता है। सेंटनर न्यूजीलैंड के शीर्ष गेंदबाज हैं और भारतीय खिलाड़ी और प्रशंसक जानते हैं कि सेंटनर के कारण कई बार भारत की टीम अंतराष्ट्रीय स्तर पर पराजित हुई है।

चेन्नई में ही जोश हेजलवुड का भी खेलना बनता है, जो आस्ट्रेलिया के शीर्ष तेज गेंदबाज हैं। सनराइजर्स हैदराबाद में बासिल थम्पी का मौका बनता है जो कि पहले बढ़िया प्रदर्शन कर चुके हैं। दिल्ली कैपिटल्स में कीमो पॉल और लामिछाने, किंग्स इलेवन पंजाब में क्रिस गेल का खेलना बनता है। किंग्स इलेवन वैसे भी सबसे नीचे चल रही है इसलिए गेल को मौका दिया जाना जरूरी है। केकेआर में लॉकी फर्ग्यूसन पूर्व में बढ़िया प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन फिलहाल अंतिम 11 से दूर हैं। राजस्थान रॉयल्स में मयंक मार्कंडेय को मौका दिया जाना चाहिए। आरसीबी में पार्थिव पटेल का भी उपयोग होना चाहिए।

करीब सौ खिलाड़ी बाहर बैठे हैं तो क्या ये खिलाड़ी उपेक्षित महसूस नहीं करते होंगे? शायद 'हां' क्योंकि नए खिलाड़ियों को छोड़ दें तो कई दिग्गज खिलाड़ियों का उनके देश की टीम में बहुत नाम और सम्मान है। शायद 'ना' भी क्योंकि इन खिलाड़ियों को बिना खेले खूब सारा पैसा तो मिल ही रहा है, फिर किस बात की चिंता है।

उपेक्षा से ख्याल आता है गौतम गंभीर का, जिनका आज यानी 14 अक्टूबर को जन्मदिन भी है। केकेआर में गौतम गंभीर का क्या जलवा था। वहां उन्होंने अपनी टीम को खिताब भी दिलवाया था। फिर पता नहीं क्यों वे दिल्ली की टीम में आ गए और दिल्ली की कप्तानी की। फिर एक दिन हमने देखा कि दिल्ली का कप्तान ही बदल गया और गौतम गंभीर को अंतिम 11 में भी जगह नहीं मिली। कुछ दिन गंभीर ने बाहर बैठकर मैच देखा और फिर वे क्रिकेट से ही बाहर हो गए।

ये सब देखकर लगता है कि आईपीएल में पैसा भी बहुत है और यहां खिलाड़ियों को चमकने का मौका भी मिलता है, लेकिन यहां पर पुराने खिलाड़ियों की साख और सम्मान भी दांव पर लगा होता है। स्टार खिलाड़ियों को बाहर निराश भाव से बैठा हुआ देखकर बड़ी तकलीफ होती है। इससे अच्छा तो व्यवस्था यह होनी चाहिए कि हर टीम में केवल 13-14 खिलाड़ी हों और यदि टीम में कोई खिलाड़ी घायल होता है और उसका रिप्लेसमेंट नहीं मिलता है तो टीम को बाहर से कोई भी खिलाड़ी खरीदने की मंजूरी मिलनी चाहिए।

- लव कुमार सिंह

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