Monday 26 October 2020

आईपीएल के मौसम में टीवी हुआ खराब तो एक नई दुनिया से रूबरू हुआ जनाब

पिछले दिनों अपना टेलीविजन सेट खराब हो गया। आईपीएल में चौके-छक्कों की बरसात वाले मौसम में जैसे अकाल सा पड़ गया। दिन में टीवी सेट को बाजार में ठीक कराने ले गया तो मिस्त्री ने कहा कि यह सेट आज नहीं बल्कि कल ठीक होगा। उसकी बात सुनकर दिल बैठ गया। अब शाम को क्रिकेट मैच कैसे देखा जाएगा? शाम होते-होते मन और भी उदास हो गया। बेटा बोला, ‘पापा हॉट स्टार का सब्सक्रिप्शन ले लो।’ लेकिन अपनी जेब इन दिनों कुछ तंग चल रही थी। फिर एक दिन बाद तो टीवी आ ही जाना था, लिहाजा हॉट स्टार का प्लान रद्द हो गया। मैं उदास बैठा ही था कि बेटे ने मोबाइल फोन में कोई यू-ट्यूब चैनल चला दिया जिस पर रेडियो की तरह क्रिकेट की कमेंट्री आ रही थी। सुनकर मेरा दिल उछल पड़ा। बस फिर क्या था, अपनी पूरी शाम और रात यू-ट्यूब चैनल पर क्रिकेट की कमेंट्री सुनते ही अच्छी बीत गई।

मैंने देखा कि यू-ट्यूब पर एक नहीं बल्कि अनेक बंदे चैनल खोलकर और टीवी के सामने बैठकर आईपीएल के मैचों की रनिंग कमेंट्री कर रहे थे। किसी चैनल पर स्क्रीन पर केवल स्कोर बोर्ड था और बैकग्राउंड से कमेंट्री की आवाज आ रही थी। किसी चैनल पर स्कोर बोर्ड और कमेंट्री करने वालों का बोलते हुए चेहरा भी था। किसी चैनल पर एक ही बंदा धाराप्रवाह लगा हुआ था तो किसी चैनल पर दो तो किसी पर तीन-तीन लोग मिलकर कमेंट्री के साथ हंसी-मजाक भी कर रहे थे। किसी चैनल पर कमेंट्री के साथ मैदान की गतिविधियों को एनिमेशन के जरिये दिखाया जा रहा था।

हालांकि सभी बंदों का कमेंट्री का स्तर बहुत अच्छा नहीं था। कोई बंदा लगातार बोले ही जा रहा था और पॉज ही नहीं ले रहा था, जिससे कानों को राहत नहीं मिल रही थी। कोई कमेंटेटर यह कम बता रहा था कि मैदान पर क्या हो रहा है बल्कि उसकी रुचि इस बात में ज्यादा थी कि सुनने वाले उसके वीडियो को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें। कहीं एक से ज्यादा कमेंटेटर थे तो वे आपस में ही हंसी-मजाक में लगे हुए थे। इस सबके बावजूद मैच की ताजा जानकारी सुनने को मिल रही थी और यह अपने लिए काफी था।

मैं सोच रहा था कि टीवी पर लाइव प्रसारण के जमाने में इन्हें कौन सुनता होगा, लेकिन आश्चर्य की बात थी कि हजारों लोग उन्हें सुन रहे थे और उनमें मैं भी शामिल था। सभी कमेंट्री चैनलों पर जबरदस्त लाइक और प्रतिक्रियाएं भी आ रही थीं। कमेंट्री करने वाले बीच-बीच में अपने सुनने वालों की प्रतिक्रियाएं भी ले रहे थे। एक चैनल कह रहा था कि आज के मैच में उसका 10 हजार लाइक का लक्ष्य है तो दूसरा चैनल सुनने वालों से आग्रह कर रहा था कि उसके लाइक को 3 हजार के पार पहुंचा दो।

इन कमेंट्री चैनल पर आने वाली प्रतिक्रियाएं सुनीं और फिर विचार किया तो पाया कि दफ्तरों में रात में काम करने वाले, बसों-ट्रेनों में चलने वाले, सुरक्षा बलों में दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात जवान समेत हजारों-लाखों लोग इस रनिंग कमेंट्रीज को विभिन्न चैनलों पर सुन रहे थे। अर्थात टीवी पर लाइव मैच के जमाने में भी रेडियो जैसी कमेंट्री न केवल जारी है बल्कि उसके ग्राहक भी काफी संख्या में हैं। यह देखकर अच्छा लगा कि इससे कई लोग यू-ट्यूब चैनल पर अपनी रोजी-रोटी भी कमा रहे हैं।

अगले दिन टीवी ठीक करने की दुकान पर गया तो उसने फिर से एक दिन का समय मांग लिया। इस प्रकार उस दिन की शाम और रात भी मैच नहीं देख पाया और कमेंट्री सुनकर ही काम चलाना पड़ा। खैर, तीसरे दिन टीवी ठीक होकर आ गया और हम फिर से शाम होते ही उसके सामने जमने लगे, लेकिन दो दिन घर में टीवी न होने से जो अनुभव हुआ वह भी कमाल का था। इस दौरान पता चला कि रनिंग कमेंट्री जिंदा है। टीवी का सजीव प्रसारण उसे खा नहीं पाया है। किसी ने सही कहा है कि ये दुनिया बहुत बड़ी है। सबको सबका हिस्सा देती है।

आगे से यदि आपका टीवी भी खराब हो जाए तो फिकर नॉट। कुछ दिन किसी चैनल पर कमेंट्री सुनिए। जायका बदल जाएगा। और अगर आप क्रिकेट के थोड़े जानकार भी हैं और अपनी बात कहने की क्षमता रखते हैं तो तो शर्तियां कहता हूं कि आपका भी मन कर जाएगा कि क्यों न एक यू-ट्यूब चैनल खोलकर क्रिकेट की कमेंट्री शुरू कर दी जाए। मेरा मन भी कुछ ऐसा ही सोच रहा है। मैच का मैच देखो और कमेंट्री की कमेंट्री करो।

- लव कुमार सिंह  

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