Will the word 'Fenkna' win a gold medal in the Word-Olympics?
टोक्यो ओलंपिक की भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) स्पर्धा में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारत में 'फेंकना' शब्द चर्चा में है। इसका कारण यह है कि अपने यहां फेंकने के दो अर्थ विशेष रूप से प्रचलन में हैं। एक फेंकना यानी किसी चीज को उछालकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा देना, जैसे नीरज चोपड़ा ने भाले के साथ किया। दूसरा फेंकना, यानी ऐसी बातें करना जिनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता।
मोदी विरोधियों को शायद भाजपा सरकार में देश को स्वर्ण पदक मिलना रास नहीं आया। इसलिये चुटकलों का दौर चल पड़ा।
- किसी ने कहा-
गोल्ड भी मिला तो फेंकने में।
- एक टिप्पणी आई-
फेंकने में दुनियाभर में हमारा कोई सानी नहीं...भाला!
- कोई बोला-
मोदी जी ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज चोपड़ा को बधाई दी और उससे पूछा कि इतनी दूर तक फेंकना आपने कहां से सीखा? इस पर नीरज चोपड़ा ने जवाब दिया- सर आप ही से सीखा है।
- एक अन्य टिप्पणी आई-
पता नहीं लोग अब ये अफवाह फैला रहे हैं कि नीरज चोपड़ा ने फेंकने की ट्रेनिंग मोदी जी से ली है। कहते रहो तुम, मैं नहीं मानता।
- किसी ने कहा-
काश ओलंपिक में मुंह से फेंकने का खेल शामिल होता तो देश को एक स्वर्ण पदक और मिल जाता।
- उधर मोदी समर्थक भी कहां चूकने वाले थे। एक बेहद ही रोचक टिप्पणी कुछ यूं आई-
सबसे दूर 2127 किलोमीटर फेंकने का रिकार्ड आज भी स्मृति ईरानी के नाम दर्ज है। अमेठी से वायनाड। नारी शक्ति को नमन।
- लव कुमार सिंह
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